LIC Foundation Day: ‘ज़िंदगी के साथ भी, ज़िंदगी के बाद भी’ आपने यह टैगलाइन तो सुनी ही होगी। यह देश की सबसे पुरानी सबसे बड़ी और सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की है। देश की सबसे बड़ी और विश्वसनीय बीमा (Insurance) कंपनी का आज स्थापना दिवस है। आज से 69 साल पहले 1 सितंबर को ही LIC की शुरुआत हुई थी। 1 सिंतबर 1956 को अपना काम शुरू करने वाली इस बीमा कंपनी ने इतनी विश्वसनीयता हासिल कर ली है कि कुछ लोग आज भी बीमा का मतलब एलआईसी ही समझते हैं। देश में बहुत कम परिवार होंगे जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एलआईसी से जुड़े न हों। तो चलिए LIC के बारे में 10 रोचक तथ्य जानते हैं।
एक बड़े विलय से बना LIC
1947 में आज़ादी के बाद, देश में एक ऐसी सरकारी बीमा कंपनी की ज़रूरत महसूस की गई जो देश की ज़्यादातर आबादी को बीमा सेवाएँ दे सके। आज़ादी के समय, देश में बीमा कारोबार निजी कंपनियों के हाथों में था और उनकी पहुँच बेहद सीमित थी। 19 जून 1956 को भारतीय संसद ने जीवन बीमा निगम अधिनियम पारित कर देश में कार्यरत 245 निजी कंपनियों को अपने अधीन ले लिया। इस तरह 245 कंपनियों का विलय करके 1 सितंबर 1956 को भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) अस्तित्व में आया।
27 हज़ार कर्मचारियों के साथ शुरुआत
भारतीय जीवन बीमा निगम का गठन उस समय देश में कारोबार कर रही सभी कंपनियों को मिलाकर किया गया था। यही वजह थी कि उन 245 कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी भी एलआईसी के कर्मचारी बन गए, जिनकी संख्या लगभग 27 हज़ार थी। इस तरह एलआईसी की शुरुआत 27 हज़ार कर्मचारियों के साथ हुई थी। उस समय भारत में रोज़गार देने के मामले में यह शीर्ष नियोक्ताओं में से एक था।
कई देशों में करता है काम
भारतीय जीवन बीमा निगम कई देशों में एक संयुक्त उद्यम, पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी या एजेंटों के माध्यम से कार्यरत है। आज, यह फिजी, मॉरीशस, यूके, सिंगापुर, बहरीन, बांग्लादेश, अबू धाबी, दुबई, कुवैत, ओमान, कतर, केन्या, श्रीलंका, नेपाल और सऊदी अरब में मौजूद है।
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दशकों तक रहा दबदबा
विलय के बाद, सरकार ने बीमा व्यवसाय को केवल सरकारी कंपनियों तक सीमित कर दिया। इसलिए 2000 तक यानी 44 वर्षों तक कोई प्रतिस्पर्धा नहीं रही, जब सरकार ने निजी कंपनियों को जीवन बीमा क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दे दी।
भारत सरकार द्वारा गारंटीकृत
चूँकि भारतीय जीवन बीमा निगम एक 100% सरकारी कंपनी है, इसलिए सरकार ने चूक की स्थिति में दावों के निपटान की गारंटी दी है। यही कारण है कि लोग निजी कंपनियों की तुलना में एलआईसी को ज़्यादा पसंद करते हैं, भले ही इसके टर्म इंश्योरेंस का प्रीमियम निजी बीमा कंपनियों की तुलना में महंगा हो।