Umpire Call Rule: कुछ ही दिन में एशिया कप 2025 का आगाज होने वाला है। वहीं क्रिकेट के एक नियम पर बहस छिड़ गई है। वो नियम अंपायर्स कॉल है। कई खिलाड़ी इस नियम को लेकर सवाल उठा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं कि अंपायर्स कॉल रूल (Umpire’s Call’ Rule) क्या है और ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि इसे बदलने की जरूरत है।
अंपायर्स कॉल रूल क्या है ?
अंपायर्स कॉल रूल को कई बार लेग बिफोर विकेट के मामले में DRS (Decision Review System) की कॉल होने पर ‘अंपायर्स कॉल’ फ्रेम में आ जाता है। LBW के बेहद करीबी मामले में कई बार टीवी अंपायर अपने फैसले को सटीक नहीं दे पाता है। ऐसे में ऑनफील्ड अंपायर का फैसला ही अंतिम माना जाता है।
टीवी अंपायर कैसे लेता है फैसला ?
बता दें कि जब किसी भी बल्लेबाज को ऑनफील्ड अंपायर LBW आउट देता है। और वह बल्लेबाज DRS लेता है तो तीन चीजें देखी जाती है। पहली चीज ये कि गेंद कहां गिरी (Pitching) है। वहीं दूसरी चीज ये देखी जाती है कि बल्लेबाज के पैड के किस हिस्से पर गेंद लगी है। तीसरी चीज जो देखी जाती है वो ये है कि वह विकेट (Wickets) से टकरा रही है या नहीं। ये सब चीजें तकनीक (हॉक आई/बॉल ट्रैकर, स्निकोमीटर/अल्ट्राऐज ) से तय होती हैं।
ऑनफील्ड अंपायर का फैसला ही आखिरी
इन सबसे पहले ये देखा जाता है कि गेंदबाज ने जो गेंद फेकी है वो लीगल है कि नहीं यानी कि कहीं वो गेंद नो बॉल तो नहीं है ना। इन सब को देखने के बाद टीवी अंपायर अपना फैसला सुनाता है। वहीं कई बार ‘Impact’ और ‘Wickets’ वाला हिस्सा इतना करीब का होता है कि फैसला 50-50 जैसा लगने लगता है। ऐसे में ऑनफील्ड अंपायर के फैसले को ही फाइनल माना जाता है।
क्रिकेट के भगवान ने भी उठाया सवाल
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी इस नियम पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अंपायर्स कॉल नियम को हटाने की वकालत की है। उन्होंने रेडिट पर कहा- मैं डीआरएस नियम में बदलाव चाहूंगा। जब खिलाड़ी अंपायर के फैसले से नाखुश होकर डीआरएस लेते हैं, तो उसी फैसले पर वापस लौटने का विकल्प नहीं होना चाहिए। जैसे खिलाड़ी कभी-कभी खराब फॉर्म में होते हैं, वैसे ही अंपायर भी गलतियाँ कर सकते हैं। तकनीक भले ही 100% सही न हो, लेकिन उसकी गलतियाँ भी एक जैसी ही होती हैं। ध्यान रहे कि डीआरएस नियम 2008 में भारत के श्रीलंका दौरे के दौरान शुरू किया गया था।
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इन खिलाड़ियों ने भी उठाए सवाल
दुनिया के सबसे महान गेंदबाजों में से ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी शेन वॉर्न भी इस नियम पर सवाल उठा चुके हैं। वॉर्न ने 2020 में एक पोस्ट में कहा था- मैं यह बात बार-बार कहूंगा, अगर कप्तान किसी फैसले की समीक्षा मांगता है, तो मैदान पर खड़े अंपायर का फैसला मान्य नहीं होना चाहिए।
उन्होने अंपायर्स कॉल रूल को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ही गेंद को “आउट” और “नॉट आउट” दोनों नहीं कहा जा सकता। जब ऐसा होगा, तो फैसला बेहद स्पष्ट और आसान हो जाएगा। यानी गेंदबाज को विकेट मिलना चाहिए या नहीं, इसका फैसला सीधे तौर पर हो जाएगा। वहीं, कुमार संगकारा, हरभजन सिंह, मिस्बाह उल हक जैसे क्रिकेटरों ने भी समय-समय पर इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।