Jaziya tax In Bangladesh: मोहम्मद यूनुस के बांग्लादेश आने के बाद से अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर उत्पीड़न और हमलों के मामले बढ़ गए हैं। भारत की ओर से कई बार यूनुस की सरकार के सामने यह मुद्दा उठाया गया है, लेकिन हर बार बांग्लादेश इन आरोपों से इनकार करता है। भारत के पड़ोसी देश में इस्लामी कट्टरवाद लगातार बढ़ रहा है।
कड़ी में अब वहाँ की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी देश में शरिया कानून लागू करने की कोशिश कर रही है।
खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित इस संगठन ने हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर जजिया कर लगाना शुरू कर दिया है। इस खबर के सामने आने के बाद माना जा रहा है कि बांग्लादेश एक इस्लामी राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
हिंदुओं और गैर-मुसलमानों को देना होगा जजिया कर
ब्लिट्ज के संपादक सलाहुद्दीन शोएब चौधरी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी ने 1 अगस्त 2025 से हिंदुओं और गैर-मुस्लिमों से जजिया वसूलना शुरू कर दिया है। इससे पहले 25 जुलाई को जमात प्रमुख डॉ. शफीकुर्रहमान ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि गैर-मुस्लिमों को यह कर देना होगा, ठीक वैसे ही जैसे मुसलमान जकात देते हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि इन सब बयानों के बीच यूनुस सरकार चुप है।
आपको बता दें कि यह वही जमात-ए-इस्लामी है जिसने 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान का साथ दिया था और पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर बंगाली नागरिकों के नरसंहार में शामिल था और आज भी आईएसआई और कई इस्लामिक-जिहादी संगठनों के समर्थन से बांग्लादेश में फिर से इस्लामी कट्टरवाद को बढ़ा रहा है।
क्या होता है जजिया कर?
जानकारी के लिए बता दें कि जजिया एक इस्लामी कर है, जो गैर-मुसलमानों पर लगाया जाता है। इस्लामी शासन में यह आम था और आलोचकों ने इसे हमेशा गैर-मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की नीति माना है। वर्तमान बांग्लादेश में इसकी शुरुआत को देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों से हटकर इस्लामी शासन की तरफ बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
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