S. Jaishankar On Trump Tariff: ट्रंप इस वक्त भारत पर अपनी नजरें टेड़ी किए हुए और इसके पीछे की वजह है नई दिल्ली का लगातर रूस से तेल खरीदना है। इसी की वजह से ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ भी लगा दिया है। लेकिन भारत इन टैरिफ के आगे झूकने को तैयार नहीं है।
इसकी वजह से ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगातार टैरिफ बढ़ाए जाने की धमकी भी दी जा रही है। इसके अलावा समय-समय पर अमेरिकी राष्ट्रपति भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर (India-Pakstan Ceasefire) कराने की बात दौहराते रहते हैं।
अब ट्रंप के सीजफायर वाले दावे को लेकर एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति को आईना दिखाया है और कहा है कि देश में एक राष्ट्रीय सहमति है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं।
ऐसा नहीं है कि कोई ‘कुट्टी’ है…
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता अभी भी जारी है। लेकिन, हमारे सामने कुछ सीमा रेखाएँ हैं। बातचीत अभी भी इस मायने में जारी है कि किसी ने भी यह नहीं कहा है कि बातचीत बंद हो गई है। लोग आपस में बातचीत करते हैं। ऐसा नहीं है कि कोई ‘कुट्टी’ है… जहाँ तक हमारा सवाल है, सीमा रेखा मुख्य रूप से हमारे किसानों और कुछ हद तक हमारे छोटे उत्पादकों के हित हैं।
हम एक सरकार के रूप में अपने किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इस पर बहुत दृढ़ हैं। यह ऐसी बात नहीं है जिस पर हम समझौता कर सकें।’
🚨 BIG STATEMENT 🚨
EAM Dr. S. Jaishankar HITS back: “If you have a problem with BUYING oil or refined products from India, don’t BUY it.”
“Nobody forces you. Europe buys, America buys—if you don’t like it, don’t BUY it.” pic.twitter.com/jnHGioWCYg
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) August 23, 2025
अब तक ऐसा अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं देखा – एस. जयशंकर
विदेश मंत्री ने ट्रंप को लेकर आगे एक बड़ी बात कही, उन्होंने कहा कि ‘अभी तक हमने किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति को नहीं देखा जिसने मौजूदा राष्ट्रपति की तरह सार्वजनिक रूप से विदेश नीति का संचालन किया हो। यह अपने आप में एक बदलाव है, जो केवल भारत तक सीमित नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ व्यवहार करने का तरीका, यहाँ तक कि जिस तरह से वह अपने देश के साथ व्यवहार करते हैं, वह पारंपरिक रूढ़िवादी तरीके से एक बड़ा बदलाव है।’
जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा, “यह हास्यास्पद है कि जो लोग व्यापार समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करते हैं, वे दूसरे लोगों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें। कोई आपको इसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको यह पसंद नहीं है, तो इसे न खरीदें।”
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के साथ संबंधों में मध्यस्थता को लेकर चल रही चर्चाओं पर भी स्पष्ट शब्दों में कहा है कि 1970 के दशक से यानी 50 वर्षों से भी अधिक समय से देश में यह राष्ट्रीय सहमति रही है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं।