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Amit Shah Parliament Bill: ‘मैंने भी दिया था इस्तीफा’, लोकसभा में ऐसा क्या हुआ कि जमकर फायर हुए अमित शाह, मचा भयंकर बवाल!

संविधान संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य यह है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी आपराधिक मामले में फंसता है, तो उसे 30 दिनों के भीतर पद छोड़ना होगा।

By: Ashish Rai | Published: August 20, 2025 4:02:05 PM IST



Amit Shah Parliament Bill: लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भ्रष्टाचार से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इस विधेयक के पेश होते ही विपक्षी दलों ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष का आरोप था कि मोदी सरकार संविधान के साथ छेड़छाड़ कर रही है। इस दौरान ‘संविधान मत तोड़ो’ जैसे नारे गूंजते रहे। हंगामे के बीच अमित शाह ने विपक्ष पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मुझ पर भी झूठे आरोप लगाए गए। मैंने खुद इस्तीफा दे दिया। जब तक अदालत ने मुझे बरी नहीं कर दिया, तब तक मैंने कोई पद नहीं संभाला। इस बीच, अमित शाह के बोलने के बाद विपक्षी सांसदों ने कागज फाड़कर अमित शाह की ओर फेंके।

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गृह मंत्री ने यह भी दोहराया कि कानून सबके लिए समान है और अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो मंत्री स्तर पर जवाबदेही और सख्त हो जाएगी। उनके इस बयान से सदन का माहौल और गरमा गया।

केसी वेणुगोपाल ने सवाल उठाए

कांग्रेस की ओर से ओवैसी और मनीष तिवारी ने गृह मंत्री के विधेयक का विरोध किया। इस पर मनीष तिवारी ने कहा कि इसके राजनीतिक दुरुपयोग का डर है। मैं इन तीनों विधेयकों का पुरजोर विरोध करता हूँ। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए विधेयक का रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने भी विरोध किया। समाजवादी पार्टी ने भी इस विधेयक का विरोध किया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य केसी वेणुगोपाल ने भी इस विधेयक का विरोध जताया। इस दरम्यान केसी वेणुगोपाल ने गुजरात में मंत्री रहते हुए अमित शाह की गिरफ़्तारी का मुद्दा उठाया, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दिया था, मैं निर्दोष साबित हुआ। इस पर धर्मेंद्र यादव ने अमित शाह से कहा कि आप नैतिकता की बात कर रहे हैं।

संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य

संविधान संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य यह है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी आपराधिक मामले में फंसता है, तो उसे 30 दिनों के भीतर पद छोड़ना होगा। यह प्रावधान राजनीतिक नैतिकता और प्रशासनिक पारदर्शिता को मज़बूत करने के लिए लाया गया है।

विपक्ष की आपत्ति और सदन की कार्यवाही स्थगित

विपक्ष ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और सरकार पर संविधान बदलने का आरोप लगाया। भारी शोर-शराबे और नारेबाजी के कारण लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

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