हिंदू धर्म में फूलों का महत्व बेहद गहरा माना जाता है। हर फूल किसी न किसी देवी-देवता से जुड़ा हुआ है और उनका धार्मिक तथा आध्यात्मिक प्रभाव भी बताया गया है। इन्हीं में से एक है ब्रह्म कमल का फूल, जिसके बारे में एक अनोखी कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि इसका जन्म सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के आंसुओं से हुआ था।
जैव विविधता विशेषज्ञ चंदन सिंह ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में बताया कि ब्रह्मकमल मुख्यतः उत्तराखंड या हिमालय जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है। इस फूल को सनातन धर्म के सबसे पवित्र पौधों में गिना गया है। ग्रंथों में इसकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी के आंसुओं से बताई गई है। यह फूल बेहद दुर्लभ माना गया है जो आसानी से नहीं खिलता। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके पौधे में कई वर्षों तक कोई फूल नहीं खिलता। स्थानीय मान्यताएं हैं कि अगर ये फूल किसी के आंगन में खिला है तो समझो उसके भाग्य खुल गए।
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ऐसे हुई थी इस फूल की रचना
कथा के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा ने पहली बार संसार की रचना की, तो वे भावुक होकर रो पड़े। उनके आंसुओं की बूंदें भूमि पर गिरीं और वहीं से एक सुंदर और अद्भुत ब्रह्मकमल का फूल प्रकट हुआ। तभी से इसे को पवित्रता, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि जहां ये फूल खिलता है, वहां धन-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यही कारण है कि इसे ‘भाग्य का द्वार खोलने वाला फूल’ कहा जाता है।
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