Cp radhakrishnan: आखिरकार उस नाम का ऐलान हो गया है जिसका देश भर को इंतजार था। एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं उनके नाम पर मुहर लगाई है। सीपी राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उन्होंने कई राज्यों में काम किया है। उन्हें एक सच्चा स्वयंसेवक माना जाता है। वह 15 साल की उम्र से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। तमिलनाडु से भी उनका खास जुड़ाव है, जहाँ अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह जानना बेहद ज़रूरी है कि बीजेपी ने इसी नाम पर मुहर क्यों लगाई।
आरएसएस को खूश करना चाह रही है बीजेपी ?
विपक्ष और जनता, दोनों जानना चाहते हैं कि उनके बायोडाटा में ऐसा क्या खास था कि भाजपा ने उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर नियुक्त करने का फैसला किया। दरअसल, यह फैसला सिर्फ़ एक राजनीतिक नियुक्ति नहीं, बल्कि 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव और उसके बाद दक्षिण भारत की राजनीति को साधने की मोदी-शाह की रणनीति का एक अहम हिस्सा है। इसके साथ ही, आरएसएस को यह संदेश देने की भी कोशिश है कि भाजपा उनसे अलग नहीं है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं सीपी राधाकृष्णन
सीपी राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। इससे पहले, वे लंबे समय तक भाजपा संगठन में सक्रिय रहे और दो बार लोकसभा सांसद भी चुने गए। वे मूल रूप से तमिलनाडु के तिरुपुर से आते हैं। जातीय पृष्ठभूमि की बात करें तो वे ओबीसी समुदाय से आते हैं, जो तमिलनाडु में अल्पसंख्यक है, लेकिन भाजपा का पारंपरिक आधार रहा है। संगठनात्मक स्तर पर, उन्हें आरएसएस का विशुद्ध स्वयंसेवक माना जाता है, यानी उनकी पहचान विचारधारा से पूरी तरह जुड़े और लंबे समय से ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले नेता के रूप में रही है।
NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान, संसदीय बोर्ड की बैठक में सीपी राधाकृष्णन के नाम पर लगी मुहर
तमिलनाडु में बनाना चाहते हैं पैठ ?
तमिलनाडु दक्षिण भारत का सबसे जटिल राजनीतिक क्षेत्र है। द्रविड़ पार्टियों डीएमके और एआईएडीएमके का यहाँ दशकों से दबदबा रहा है। भाजपा को अभी तक यहाँ निर्णायक सफलता नहीं मिली है, जबकि यहाँ का सांस्कृतिक-राजनीतिक समीकरण केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की तुलना में उसके लिए ज़्यादा चुनौतीपूर्ण रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह जानते हैं कि अगर उन्हें तमिलनाडु में कोई पैठ बनानी है, तो इसके लिए एक स्थानीय चेहरा और जातीय-सामाजिक संतुलन बेहद ज़रूरी है।
तमिल समुदाय को बड़ा संदेश
सीपी राधाकृष्णन हर लिहाज़ से इस पद के लिए उपयुक्त हैं। वे तमिलनाडु के नेता हैं। वे भाजपा और आरएसएस की विचारधारा से जुड़े हैं। राज्य के शहरी और उच्च जाति वर्ग में उनकी स्वीकार्यता है। उन्हें उपराष्ट्रपति जैसे बड़े पद पर नियुक्त करके भाजपा तमिल समुदाय को यह संदेश देना चाहती है कि दिल्ली की सत्ता में उनकी भी हिस्सेदारी है।