Russia-Ukraine War News: अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। दरअसल अमेरिका इस बात से चिढ़ा हुआ है कि भारत रूस से तेल आयात कर रहा है। अब अमेरिकी टैरिफ का कहर दूसरी जगहों पर भी टूटने वाला है। उसकी वजह भी रूस ही है। दरअसल, अमेरिका यूरोपीय संघ पर बड़ा टैरिफ लगा सकता है, जिसने रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस ने यूरोपीय संघ में रूसी एलएनजी का आयात बढ़ा दिया है। खास बात यह है कि इसमें हर साल बढ़ोतरी देखी गई है। वह भी ऐसे समय में जब ट्रंप यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म कराने में रूस को मनाने में लगातार नाकाम हो रहे हैं। जिसके चलते उन्होंने युद्ध रोकने के लिए उन देशों पर टैरिफ लगाने की बात कही है जो रूस से प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल खरीद रहे हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि यूरोपीय संघ द्वारा रूस से कितनी एलएनजी का आयात किया जा रहा है।
रिफाइनरी से होने वाला मुनाफा मास्को के युद्ध को बढ़ावा दे रहा
TV9 की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस से यूरोपीय संघ का तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात बढ़ रहा है, जबकि यूरोपीय संघ ने पिछले महीने भारत में नायरा एनर्जी रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा दिया था। रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट की इसमें 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यूरोपीय संघ ने कहा कि रिफाइनरी से होने वाला मुनाफा मास्को के युद्ध को बढ़ावा दे रहा है। फ़िनलैंड स्थित एक स्वतंत्र शोध संगठन, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के एक अध्ययन के अनुसार, 2022 से यूरोपीय संघ के रूसी एलएनजी आयात में साल-दर-साल 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि अमेरिका सहित अन्य स्रोतों से आयात में गिरावट आई है।
कितनी एलएनजी खरीदी गई?
यूरोपीय संघ ने 2024 में रूसी एलएनजी के लिए 8.5 बिलियन डॉलर का भुगतान किया। इसका कारण पर्याप्त गैर-रूसी गैस आपूर्ति सुनिश्चित करने में कठिनाई थी। सीआरईए के अनुसार, रूस से यूरोपीय संघ का गैस आयात 2021 की तुलना में 2024 में 9.6 प्रतिशत अधिक था। सीआरईए के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में, रूस से यूरोपीय संघ का एलएनजी आयात रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड से कहीं अधिक है। शोध संगठन के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने रूसी ईंधन के आयात के लिए 212 बिलियन यूरो से अधिक का भुगतान किया है।