Home > लाइफस्टाइल > Designer Baby Trend: अब माता-पिता खुद चुन सकेंगे बच्चे की मनपसंद शक्ल और दिमाग? इससे पहले जान लीजिए इसके फायदे और नुकसान

Designer Baby Trend: अब माता-पिता खुद चुन सकेंगे बच्चे की मनपसंद शक्ल और दिमाग? इससे पहले जान लीजिए इसके फायदे और नुकसान

जीन एडिटिंग तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है. अब डिज़ाइनर बेबी का ट्रेंड उभर रहा है जिसमें माता-पिता बच्चे की शक्ल, कद, बुद्धिमत्ता तक चुन सकेंगे. जानिए क्या हैं इस तकनीक के फायदे और खतरे.

By: Shivani Singh | Last Updated: November 29, 2025 4:54:52 PM IST



Gene editing: क्या आने वाला समय ऐसा होगा जहाँ माता-पिता अस्पताल में बच्चे की सेहत नहीं, उसकी शक्ल और दिमाग के विकल्प चुन रहे होंगे? कितनी लंबाई चाहिए? किस रंग की आंखें? कितना तेज दिमाग चाहिए? यह सब सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, लेकिन हकीकत धीरे-धीरे लैब से बाहर निकलकर हमारे समाज की दहलीज़ तक पहुँच रही है. दुनियाभर में टेक और बायोटेक कंपनियां जिस रफ्तार से जीन एडिटिंग पर निवेश कर रही हैं, उससे यह सवाल अब भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान का हिस्सा बन चुका है.

बायोटेक शेयर में तेज़ी

US स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव के बावजूद, बायोटेक शेयर में तेज़ी बनी हुई है. जीन एडिटिंग से बीमारी ठीक करने वाली दवाओं का मार्केट तेज़ी से बढ़ रहा है. हालांकि, साइंटिस्ट को चिंता है कि इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल खास तरह के बच्चों को डिज़ाइन करने के लिए किया जा सकता है.

इन्वेस्टर अब बीमारियों के इलाज के लिए जीन थेरेपी तक ही सीमित नहीं हैं; वे उन कंपनियों में भी इन्वेस्ट कर रहे हैं जो जल्द ही बच्चे की हाइट, आंखों का रंग, स्किन टोन, काबिलियत और इंटेलिजेंस चुनने के लिए इंसानी जीन में बदलाव कर सकती हैं.

क्या होता है डिज़ाइनर बेबी?

आजकल, इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन(IVF) और एग फ़्रीज़िंग जैसे शब्द बहुत पॉपुलर हो रहे हैं.  IVF साइकिल के दौरान जुड़वाँ बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है. आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह 20 से 30 परसेंट होता है. नेचुरल प्रेग्नेंसी की तुलना में, यह 6 परसेंट तक होता है. अगर आपको जुड़वाँ बच्चे हुए हैं, तो प्रेग्नेंसी के दौरान आपके तीन बच्चे हो सकते हैं. यह IVF से मुमकिन है.

Overeating: ओवरईटिंग से कैसे बचें, जानें खाने की आदत को कम करने के 10 आसान टिप्स

डिज़ाइनर बेबी की ज़रूरत क्यों है?

आजकल ज़्यादातर डिज़ाइनर बेबी प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (PGD) के ज़रिए बनाए जाते हैं ताकि बीमारी-मुक्त एम्ब्रियो को चुनकर जेनेटिक डिफेक्ट को विरासत में मिलने से रोका जा सके. उदाहरण के लिए, कुछ बीमारियों, जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस और β-थैलेसीमिया, को रोका जा सकता है. 

2018 में, एक चीनी साइंटिस्ट ने दावा किया था कि उसने जुड़वां लड़कियों के जीन में बदलाव करके उन्हें HIV से बचाया था. इस विवाद ने जीन एडिटिंग के नैतिक पहलुओं पर दुनिया भर में बहस छेड़ दी.

हालाँकि, अगर सभी एम्ब्रियो में बीमारी का जीन एक कैरियर कपल से आता है, तो जेनेटिक मॉडिफिकेशन ज़रूरी होगा. हाल ही में डेवलप किए गए जीन एडिटिंग टूल्स से साइंटिस्ट एक्टिव रूप से डिज़ाइनर बेबी बना सकते हैं.

इन दिनों IVF प्रोसीजर के दौरान डिज़ाइनर बेबी की चाहत बढ़ रही है. माता-पिता खास जीन वाले बच्चे चाहते हैं. सुंदर बच्चों की डिमांड है. लोग चाहते हैं कि उनके बच्चे के घुंघराले बाल, नीली आँखें और शाहरुख खान, सचिन तेंदुलकर, या कैटरीना कैफ, या दीपिका पादुकोण जैसा चेहरा हो. हालाँकि, यह सब मुमकिन नहीं है. उनके जैसा बच्चा होने के लिए उनके स्पर्म या एग की ज़रूरत होती है, जो मुमकिन नहीं है.

अमीर और गरीब के बीच की खाई

अब बात आती है कि  इससे नुकसान क्या है? इससे अमीर और गरीब के बीच की खाई और बढ़ने का खतरा है. अमीर लोग “परफेक्ट बच्चा” पैदा कर पाएंगे, जबकि गरीबों को कुदरती नियमों पर निर्भर रहना पड़ेगा. यह दुनिया भर के जेनेटिक एक्सपर्ट्स को परेशान कर रहा है.

2020 में इस फील्ड में कुल $266 बिलियन का इन्वेस्टमेंट हुआ. यूनाइटेड स्टेट्स इस टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए नए नियमों पर काम कर रहा है. साइंटिस्ट्स का मानना ​​है कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह टेक्नोलॉजी “नैचुरल चाइल्डबर्थ” के बजाय “चाइल्ड डिज़ाइन” जैसी हो जाएगी.

युवाओं को कैसे कर्ज के जाल में फंसा रहा iPhone? मोबाइल लेने से पहले समझ लें ये खेल; नहीं तो बिगड़ जाएगा आपका गणित!

Advertisement