Home > बिहार > Bihar Election News: अपने ही पार्टी नेता का ‘श्राप’ ले डूबा राजद को… हार की असली वजह अब आई सामने; तेजस्वी ने कर दी बड़ी गलती!

Bihar Election News: अपने ही पार्टी नेता का ‘श्राप’ ले डूबा राजद को… हार की असली वजह अब आई सामने; तेजस्वी ने कर दी बड़ी गलती!

Bihar Election News: चुनाव परिणामों के बाद मदन शाह ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी की हार से उनका मन दु:खी है, लेकिन वे मानते हैं कि जो कुछ होता है, अच्छे के लिए ही होता है.

By: Shubahm Srivastava | Published: November 16, 2025 10:06:44 PM IST



Madan Shah Viral Video: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में आरजेडी को बेहद निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है. पार्टी मात्र 25 सीटों पर सिमट गई, और खास बात यह है कि यह वही संख्या है जिसकी भविष्यवाणी पार्टी के नाराज नेता मदन शाह ने टिकट कटने के बाद की थी। उनका पुराना वीडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने आरजेडी को 25 सीटों पर सीमित होने का “श्राप” दिया था। परिणामों ने उनके कथन को अप्रत्याशित रूप से सच साबित कर दिया.

…तब तक पार्टी का भला नहीं हो सकता

चुनाव परिणामों के बाद मदन शाह ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी की हार से उनका मन दु:खी है, लेकिन वे मानते हैं कि जो कुछ होता है, अच्छे के लिए ही होता है. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर कुछ लोग जानबूझकर नुकसान पहुंचा रहे हैं और जब तक ऐसे लोगों को बाहर नहीं किया जाता, पार्टी का भला नहीं हो सकता.

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तेजस्वी यादव पर लगाए गंभीर आरोप 

पिछले महीने टिकट न मिलने पर मदन शाह ने पार्टी नेतृत्व, विशेषकर तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि तेजस्वी घमंडी हैं, लोगों से नहीं मिलते और टिकट वितरण में संजय यादव की मनमानी चलती है। शाह ने यह भी दावा किया था कि टिकट वितरण में बाहरी प्रभाव और गलत प्राथमिकताओं के कारण पार्टी का नुकसान तय है। उन्होंने नाराज होकर यह भी कहा था कि लालू यादव उनके गुरु हैं और उन्होंने उन्हें टिकट देने का वादा किया था, लेकिन इसके बजाय “बीजेपी एजेंट” बताए गए संतोष कुशवाहा को टिकट दे दिया गया.

मुझे नजरअंदाज किया गया – मदन शाह

मदन शाह ने यह भी याद दिलाया था कि 2020 में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें रांची बुलाकर तेली समुदाय की जनसंख्या के आधार पर मधुबन सीट से उनकी जीत की संभावनाओं पर चर्चा की थी। उन्होंने दावा किया कि वे 90 के दशक से आरजेडी के लिए काम कर रहे हैं और टिकट की उम्मीद में अपनी जमीन तक बेच दी, लेकिन अंततः उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया.

चुनावी नतीजों के बाद यह पूरा प्रकरण आरजेडी के अंदरूनी मतभेद, नेतृत्व पर असंतोष और टिकट-वितरण की खामियों को उजागर करता है, जिसने पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया.

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