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दुनिया के खूंखार तानाशाह के खिलाफ चल रही गंदी साजिश, भारत के लिए बज गई खतरे की घंटी, अब क्या करेंगे PM Modi?

Xi Jinping: 21 मई से 5 जून तक शी जिनपिंग की अनुपस्थिति और अब 6-7 जुलाई को होने वाली ब्रिक्स बैठक से उनकी अनुपस्थिति को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

By: Sohail Rahman | Published: July 6, 2025 12:45:21 PM IST



Xi Jinping: चीन से बहुत बड़ा अपडेट सामने आ रहा है। दरअसल, जानकारी सामने आ रही है कि,  21 मई से 5 जून तक शी जिनपिंग की अनुपस्थिति और अब 6-7 जुलाई को होने वाली ब्रिक्स बैठक से उनकी अनुपस्थिति को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन, दावा किया जा रहा है कि जिनपिंग को अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जनरलों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इन सबके पीछे एक छोटा सा देश ताइवान है, जो सालों से चीन की आंखों में खटक रहा है।

जिनपिंग ने ताइवान पर हमला करने का बनाया प्लान

माना जा रहा है कि जिनपिंग ने अपनी सेना को 2027 तक ताइवान पर हमला करने के लिए तैयार रहने का आदेश भी दिया है। इससे विनाशकारी सैन्य संघर्ष का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में यह भारत और अमेरिका के लिए खतरे की घंटी है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि, आखिर जिनपिंग के गायब होने के पीछे किसका हाथ है। आइये इसपर चर्चा करते हैं।

जिनपिंग ने कई सैन्य अधिकारियों को पद से हटाया

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक ओपिनियन के मुताबिक, शी जिनपिंग सालों से अपनी सेना के शीर्ष नेतृत्व पर नकेल कसने में लगे हुए हैं। इससे यह संदेह पैदा होता है कि क्या वह अपने जनरलों पर सफलतापूर्वक युद्ध लड़ने के लिए भरोसा कर सकते हैं। पिछले दो वर्षों में, दो रक्षा मंत्रियों और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कई वरिष्ठ अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है। इनमें रॉकेट फोर्स के शीर्ष नेता भी शामिल हैं, जो चीन के परमाणु हथियारों को नियंत्रित करते हैं। अब इन जनरलों में जिनपिंग के प्रति असंतोष बढ़ रहा है और वे चुपचाप जिनपिंग के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं।जिनपिंग के नेतृत्व में चीन में शीर्ष पदों से हटाए जाने का सिलसिला जारी है।

भ्रष्टाचार भी है एक मुद्दा

हालिया रिपोर्टों के अनुसार, जनरल हे वेइडोंग को भी मार्च में हटा दिया गया था। बताया जा रहा है कि, वह देश में दूसरे सबसे बड़े अधिकारी थे। वह सीधे शी जिनपिंग को रिपोर्ट करते थे और ताइवान पर संभावित आक्रमण की योजना बनाने में शामिल थे। इस घटना के बाद सेना के जनरलों में विरोध हुआ। यह निश्चित रूप से कहना असंभव है कि इस तरह की बर्खास्तगी भ्रष्टाचार से संबंधित है या नहीं। पीएलए में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है या यह वैचारिक मतभेदों या अन्य कारणों से संबंधित है। हालांकि, यह उथल-पुथल शी जिनपिंग के सैन्य कमांडरों की क्षमता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाती है।

उठने लगी जिनपिंग विरोधी आवाज

इससे पहले भी जिनपिंग के इशारे पर चीन के पूर्व विदेश मंत्री किन गैंग और पूर्व रक्षा मंत्री ली शांगफू को उनके पदों से हटाया गया था। कभी अप्रचलित रही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अब दुनिया की सबसे बड़ी सशस्त्र सेना है। यह हवाई, नौसैनिक और मिसाइल शक्ति में अमेरिका से मुकाबला करती है। चीनी सेना सालों से ताइवान पर आक्रमण या नाकाबंदी का अभ्यास कर रही है। इसमें अप्रैल की शुरुआत में किए गए अभ्यास शामिल हैं और ताइवान स्ट्रेट के पार हजारों सैनिकों को ले जाने की चुनौतियों का समाधान कर रही है। ताइवान को जीतना जिनपिंग का बड़ा सपना है। लेकिन अब जिनपिंग के विरोधी जनरल उनकी योजना को विफल करने में लगे हुए हैं। अब जिनपिंग विरोधी आवाजें उठने लगी हैं।

भारत को क्या खतरा हो सकता है?

विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) जेएस सोढ़ी के मुताबिक चीन में जो कुछ भी हो रहा है, वह भारत और अमेरिका के लिए भी बड़ी चिंता की बात है। क्योंकि चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा कायम करना चाहता है, जो भारत और अमेरिका के लिए ठीक नहीं है। जिनपिंग अपनी हैसियत वापस पाने के लिए ताइवान पर हमला कर सकते हैं या प्रशांत क्षेत्र में युद्ध भड़का सकते हैं। ऐसे में भारत और अमेरिका दोनों ही चीन में चल रहे घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रहे हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन का पहले से ही दबदबा है।

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