India-Russia Relations: नाटो चीफ की धमकी के बीच भारत ने कुछ ऐसा कर दिया है, जिससे अमेरिका समेत उसके सभी सहयोगियों को मिर्ची लग सकती है। असल में भारत ने रूस की मुख्य भूमि से दूर बाल्टिक सागर के किनारे बसे कैलिनिनग्राद में चावल की बड़ी खेप पहुंचाई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत की तरफ से यहां पर 390 टन चावल भेजा गया है। भारत के इस कदम से रूस काफी खुश है।
बता दें कि कैलिनिनग्राद रूस के लिए काफी अहम है। क्योंकि ये दो नाटो देश पोलैंड और लिथुआनिया के बीच में है। 15,100 वर्ग किलोमीटर के इस भूभाग पर ट्रंप की भी नजरें हैं। हाल ही में एक अमेरिकी जनरल ने कैलिनिनग्राद पर हमला करने की बात कही थी, जिसपर रूस ने धमकी देते हुए तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने की बात कही थी। रूस ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर कलिनिनग्राद क्षेत्र की रक्षा करेगा।
रूस इतना नाराज़ क्यों है?
यह विवाद जर्मनी में एक कार्यक्रम से शुरू हुआ। अमेरिकी सेना और नाटो सहयोगियों ने जर्मनी के विस्बाडेन में ईस्टर्न फ्लैंक डिटरेंस लाइन (ईस्टर्न फ्लैंक डिटरेंस लाइन) शुरू की है। अमेरिकी सेना के यूरोप और अफ्रीका कमांडर जनरल क्रिस्टोफर डोनह्यू का कहना है कि इस पहल का लक्ष्य रूस का मुकाबला करना है। क्रिस्टोफर ने रूस में कलिनिनग्राद पर हमले की भी बात कही है। डोनह्यू ने कहा कि नाटो सेनाएँ रूस में कलिनिनग्राद पर कब्ज़ा कर सकती हैं। रूस इस पर भड़क गया है।
🇷🇺🇮🇳 नई दिल्ली ने कलिनिनग्राद को चावल की बड़ी खेप भेजी
भारत ने चावल की एक और बड़ी डिलीवरी के साथ रूस की खाद्य आपूर्ति का समर्थन करना जारी रखा है। इस बार पांच खेपों में 125 टन चावल बाल्टिस्क बंदरगाह पहुंचे।
2025 की शुरुआत से भारत ने कलिनिनग्राद को 390 टन चावल की आपूर्ति की है -… pic.twitter.com/9TFmxdT6ej
— RT Hindi (@RT_hindi_) July 22, 2025
मास्को की प्रतिक्रिया क्या है?
क्रेमलिन ने पश्चिम और अमेरिका की इन धमकियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर रूसी संसदीय समिति के अध्यक्ष लियोनिद स्लट्स्की ने कहा कि कैलिनिनग्राद क्षेत्र पर हमला रूस पर हमला होगा। इसके लिए सभी उचित प्रतिकार उपाय किए जाएँगे। इसमें परमाणु विकल्प भी मौजूद हैं। अमेरिकी जनरल पर तीसरा विश्व युद्ध छेड़ने की योजना बनाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस वैश्विक गतिरोध में कोई विजेता नहीं होगा।
रूस के लिए कैलिनिनग्राद इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
कैलिनिनग्राद क्षेत्र रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित कैलिनिनग्राद पर रूस का नियंत्रण है। हालाँकि, यह रूस की मुख्य भूमि से कटा हुआ है। नाटो और पश्चिमी देशों को लगता है कि पुतिन इस क्षेत्र का इस्तेमाल यूरोप पर हमला करने के लिए कर सकते हैं। इस रणनीतिक क्षेत्र का इस्तेमाल करके, रूस सुवाल्की गैप पर भी कब्ज़ा कर सकता है। लगभग 60 मील चौड़ी यह दुर्गम भूमि पट्टी, बाकी नाटो देशों को बाल्टिक देशों से जोड़ती है।
कैलिनिनग्राद का रणनीतिक महत्व क्या है?
रूस से सैकड़ों किलोमीटर दूर, रूसी एक्सक्लेव कलिनिनग्राद ओब्लास्ट, पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित 15,100 वर्ग किलोमीटर का एक छोटा सा भूभाग है। द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद जर्मन शहर कोनिग्सबर्ग और उसके आसपास के क्षेत्र को सोवियत संघ को सौंप दिया गया था। 1946 में इसका नाम बदलकर कलिनिनग्राद कर दिया गया।
बाल्टिक सागर पर इसकी एक छोटी, पश्चिमी तटरेखा है। छोटा होने के बावजूद, यह रूस के लिए अत्यंत सामरिक महत्व का है। इससे रूस को बाल्टिक सागर तक सीधी पहुँच का एक और मार्ग मिल जाता है। रूस के बाल्टिक सागर बेड़े का मुख्यालय और मुख्य अड्डा कलिनिनग्राद ओब्लास्ट में है। कलिनिनग्राद यूरोप के सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्रों में से एक है। इस प्रकार, यह क्षेत्र सैन्य दृष्टि से रूस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।