Armenia-Azerbaijan Peace Agreement: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से सत्ता संभाले हैं, तब से दुनिया में चल रहे युद्धों को खत्म करने की कोशिश में लगे हैं। यह अलग बात है कि उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली है, क्योंकि उनकी तमाम कोशिशों के बावजूद रूस-यूक्रेन युद्ध अभी भी जारी है। आपको बता दें कि ट्रंप दुनिया भर में 6 युद्ध रोकने का दावा भी कर चुके हैं। लेकिन इस बीच, ट्रंप ने व्हाइट हाउस में बैठे-बैठे 37 साल पुराने एक युद्ध को खत्म कर दिया है। यहां हम बात कर रहे हैं आर्मेनिया और अजरबैजान की।
व्हाइट हाउस में दोनों देशों के बीच हुआ शांति समझौता
खबरों के अनुसार, आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान और अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने व्हाइट हाउस में एक आधिकारिक शांति समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। व्हाइट हाउस में दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अनुसार, वर्षों पुराने संघर्ष को समाप्त करना है। इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और राजनयिक संबंधों को भी मज़बूत करना है।
HOLY SMOKES.
Trump just got the leaders of Armenia and Azerbaijan to sign peace agreements and shake hands, ending a 35 year conflict.
What an amazing moment. Give Trump the Nobel Peace Prize right now. pic.twitter.com/fmPGfwPXPh
— johnny maga (@_johnnymaga) August 8, 2025
ट्रंप को मिले नोबेल शांति पुरस्कार – अलीयेव
आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति समझौते के बाद, दोनों देशों के नेताओं ने ट्रंप की प्रशंसा की और संघर्ष को समाप्त करने में मदद के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही, ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की भी चर्चा हुई। अलीयेव ने कहा, “अगर राष्ट्रपति ट्रंप को नहीं, तो फिर किसे नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए?”
ट्रंप ने आर्मेनिया और अज़रबैजान के अलावा, 6 देशों के बीच युद्ध रोकने का दावा किया है। इनमें इज़राइल-ईरान, थाईलैंड-कंबोडिया, रवांडा-कांगो, सर्बिया-कोसावो और मिस्र-इथियोपिया विवाद शामिल हैं। ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष में युद्धविराम कराने का भी दावा किया, लेकिन भारत ने उन दावों का मज़ाक उड़ाया और उन्हें झूठा बताया।
नागोर्नो-काराबाख को लेकर है दोनों के बीच विवाद
आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच संघर्ष नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर है। यह संघर्ष आर्मेनिया-अज़रबैजान में हो रहा है, जो अज़रबैजान का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ अर्मेनियाई बहुसंख्यक हैं। अर्मेनियाई लोग ईसाई हैं, जबकि अज़रबैजान के लोग तुर्की मूल के मुसलमान हैं। वहीं हाल के समय में भारत
आर्मेनिया का बड़ा सहयोगी बनकर उभरा है। भारत ने जंग की हालात में आर्मेनिया को अपने कई एडवांस हथियार दिए हैं।