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Trump Putin Meeting: विदेशी दौरे पर अपने साथ ‘पू सूटकेस’ लेकर जाते हैं राष्ट्रपति पुतिन, अपनी टॉयलेट-पॉटी इकट्ठा कर वापस रूस ले जाते हैं…जाने आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?

Putin Security Measures: यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अलास्का में तीन घंटे तक बैठक हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। लेकिन इस बैठक के बाद रूसी राष्ट्रपति से जुड़ी एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे।

Published by Shubahm Srivastava

Putin Security Measures: यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अलास्का में तीन घंटे तक बैठक हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। लेकिन इस बैठक के बाद रूसी राष्ट्रपति से जुड़ी एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है, जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे।

वैसे, आपको बता दें कि साल 2022 में युद्ध छिड़ने के बाद पुतिन की यह पहली अमेरिका यात्रा थी। लेकिन उनके विदेश दौरों के दौरान अपनाए गए अजीबोगरीब तरीके सुर्खियां बटोर रहे हैं। इन्हीं में से एक है उनका ‘पू सूटकेस’। अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या है, तो आइए जानते हैं इसके बारे में

पुतिन विदेश लेकर जाते हैं ‘पू सूटकेस’

पुतिन जब भी किसी देश की यात्रा पर जाते हैं, तो अपने साथ एक खास ‘पू सूटकेस’ ले जाते हैं। जिसमें उनका मल-मूत्र इकट्ठा करके मास्को वापस लाया जाता है। इसकी वजह उनकी सुरक्षा है। पुतिन की सुरक्षा टीम उनके विदेशी दौरों पर बुलेटप्रूफ सूटकेस लेकर चलती है। इनमें से एक सूटकेस, जिसे ‘पू सूटकेस’ कहा जाता है, खास तौर पर उनके मल-मूत्र को इकट्ठा करने के लिए बनाया गया है।

आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?

दरअसल, ‘पू सूटकेस’ को साथ में लेकर चलने के पीछे की वजह उनकी सेहत और निजी जानकारी को सुरक्षित रखना है। ऐसा माना जाता है कि मल और मूत्र के नमूनों की जाँच से व्यक्ति की शारीरिक स्थिति, बीमारियों और यहाँ तक कि खान-पान और जीवनशैली के बारे में भी अहम जानकारी मिल सकती है। और पुतिन ये बिलकुल भी नहीं चाहते कि उनके प्रतिद्वंद्वी देशों या खुफिया एजेंसियों को उनके स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी जानकारी मिले।

वैसे, आपको बता दें कि पुतिन के स्वास्थ्य को लेकर पहले से ही कई अफ़वाहें हैं। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि उन्हें कैंसर, डिमेंशिया या पार्किंसंस जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। हालाँकि, इन दावों की कभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। 

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