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पाकिस्तान-अफगानिस्तान में क्या डोनाल्ड ट्रंप ने कराया सीजफायर? Inside Story में पढ़िये सबसे बड़ा खुलासा

Pakistan Afghanistan Ceasefire:कतर के विदेश मंत्रालय ने आज तड़के ऐलान किया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान कतर के दोहा में आयोजित बातचीत के दौरान युद्धविराम पर सहमती बन गई है.

By: Divyanshi Singh | Published: October 19, 2025 10:33:26 AM IST



Pakistan Afghanistan ceasefire: पाकिस्तान के अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक के बाद से तनाव बढ़ रहे थे. लेकिन अब भारत के दो पड़ोसियों के बीच सुलह की खबर सामने आई हैं. बता दें कि कतर के विदेश मंत्रालय ने आज सुबह घोषणा की कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोहा, कतर में हुई वार्ता के दौरान युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं. तुर्की की मध्यस्थता में हुई इस वार्ता का उद्देश्य एक सप्ताह से चल रहे भीषण सीमा संघर्ष को समाप्त करना है, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं.

क्या ट्रंप ने करवाया सीजफायर?

वहीं कयास लगाया जा रहा है कि ट्रंप के कहने पर कतर ने दोनों ही देशों में सीजफायर करवाया हो. गौरतलब है कि कतर और अमेरिका के रिश्ते अच्छे हैं. और ट्रंप के कहने पर कतर ये कदम उठाया हो. हालाकि कतर पीछले कई सालों से ये काम कर रहा है. कतर दो देशों के बीच मध्यस्थता करने तथा बिना किसी हल्ला-गुल्ला के समझौते कराने के लिए जाना जाता है. वहीं ट्रंप किसी भी वक्त इस सीजफायर का क्रेडिट ले सकते हैं.

लड़ाई में कई लोगों की मौत

यह वार्ता अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में दर्जनों लोगों के मारे जाने के बाद हुई है, जो 2021 में काबुल में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से दोनों पड़ोसियों के बीच सबसे भीषण टकराव है. अफगान अधिकारियों ने पुष्टि की है कि रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब के नेतृत्व में काबुल प्रतिनिधिमंडल ने दोहा वार्ता में भाग लिया, जबकि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने तालिबान प्रतिनिधियों के साथ चर्चा का नेतृत्व किया.

पाकिस्तान का आरोप क्या है?

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि वार्ता अफगानिस्तान से पाकिस्तान के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने और पाक-अफगान सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करने के तत्काल उपायों पर केंद्रित थी. हिंसा तब भड़की जब इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान से उन आतंकवादियों पर लगाम लगाने की मांग की जो सीमा पार से पाकिस्तान में हमले कर रहे थे.

इस्लामिक स्टेट को समर्थन देने के आरोप

तालिबान ने आतंकवादियों को पनाह देने से इनकार किया और पाकिस्तान पर अफ़ग़ानिस्तान को अस्थिर करने के लिए गलत सूचना फैलाने और इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया. इस्लामाबाद ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सरकार को उखाड़ फेंकने और सख्त इस्लामी शासन लागू करने के लिए लंबे समय से अभियान चलाया है.

तालिबान सरकार का पलटवार

तालिबान सरकार ने शनिवार को कहा कि अफ़ग़ान प्रतिनिधिमंडल में रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय ख़ुफ़िया एजेंसी के प्रमुख शामिल थे. एक दिन पहले, पाकिस्तान ने कहा था कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल शनिवार को दोहा के लिए रवाना होगा. हालाँकि, उसने और विवरण नहीं दिया.

दोनों देशों का कहना है कि वे एक-दूसरे की आक्रामकता का जवाब दे रहे हैं. पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान पर सीमावर्ती क्षेत्रों में हमले करने वाले आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है, हालाँकि तालिबान ने इस आरोप का खंडन किया है.

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