New York: अमेरिका का सबसे बड़ा शहर न्यूयॉर्क सिटी इन दिनों चूहों की भारी आबादी से परेशान है। गलियों, सब-वे, फुटपाथ और सड़कों के किनारों पर चूहों का जमावड़ा इतना बढ़ गया है कि लोग अपने बच्चों को खुले में चलने तक से हिचकने लगे हैं। स्थिति को देखते हुए नगर प्रशासन ने पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर अब हाई-टेक मैपिंग टूल और सख्त सफाई अभियान का सहारा लिया है।
चूहों की बढ़ती आबादी और खतरा
एक चूहा रोजाना लगभग 28 ग्राम भोजन खाता है और एक बार में 12 तक बच्चे पैदा कर सकता है। एक साल से कम उम्र में ही वह 5–7 बार प्रजनन कर सकता है, यानी एक चूहा 80 से अधिक संतानें पैदा करने में सक्षम है। न्यूयॉर्क जैसे 85 लाख की आबादी वाले शहर में खुले में पड़ा भोजन, कूड़ेदानों का कचरा और पार्कों में बचे खाने के टुकड़े चूहों के लिए भरपूर भोजन का स्रोत बनते हैं।
‘खाना बंद करो, चूहे घटाओ’ रणनीति
शहर के स्वास्थ्य विभाग की अधिकारी कैरोलिन ब्रैगड़न के अनुसार, भोजन की कमी से चूहों में तनाव बढ़ता है, जिससे वे कम प्रजनन करते हैं और उनकी गतिविधियां घट जाती हैं। इसी सिद्धांत पर प्रशासन काम कर रहा है—खाने के स्रोत को खत्म करो, चूहों की संख्या घटेगी।
हाई-टेक मैपिंग और 70 इंस्पेक्टरों की तैनाती
शहर में ‘ऑपरेशन कंट्रोल’ के तहत 70 इंस्पेक्टर एक विशेष मोबाइल ऐप का उपयोग कर चूहों की गतिविधियों को ट्रैक करते हैं। ये इंस्पेक्टर व्यापारिक प्रतिष्ठानों और घरों में जाकर लोगों को सफाई बनाए रखने और कचरा सही तरीके से निस्तारित करने की सलाह देते हैं। हजारों स्थानीय लोग और बिल्डिंग प्रबंधक अब तक चूहों से निपटने की ट्रेनिंग ले चुके हैं।
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‘कचरा क्रांति’ और सील्ड कंटेनर
अक्टूबर 2022 में शुरू हुई ‘कचरा क्रांति’ के तहत फुटपाथ पर काले कचरे के बैग की जगह सील किए गए कंटेनरों का इस्तेमाल किया गया। कोविड महामारी से पहले कुछ इलाकों में इस पहल से चूहों की संख्या 90% तक घट गई थी। 2025 को प्रशासन बदलाव का साल मान रहा है।
नतीजे और भविष्य
2024 में चूहों से जुड़ी शिकायतें 25% कम हुई हैं, हालांकि अभी तक मैनहट्टन के चाइनाटाउन में ही आबादी को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सका है। हार्लेम, ब्रॉन्क्स और ब्रुकलिन में अभी भी बड़े स्तर पर काम जारी है।
न्यूयॉर्क का अनुभव दिखाता है कि सफाई, कचरे का सही निस्तारण और तकनीक का इस्तेमाल मिलकर किसी भी बड़े शहर की चूहों की समस्या को काबू में ला सकते हैं। अगर यह मॉडल सफल हुआ, तो दुनिया के अन्य बड़े शहर भी इसे अपनाकर अपने पर्यावरण और स्वास्थ्य को सुरक्षित बना सकते हैं।

