कहां हैं केपी शर्मा ?
ख़ुद केपी शर्मा ओली ने इन चर्चाओं पर विराम लगाते हुए स्पष्ट किया है कि वह न तो दुबई गए हैं और न ही चीन, बल्कि इस समय नेपाली सेना के सुरक्षा घेरे में शिवपुरी में रह रहे हैं. ओली ने फ़ेसबुक पर एक खुला पत्र साझा किया है, जिसमें उन्होंने जनता और ख़ासकर युवाओं को संबोधित किया है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि वह सेना के जवानों के बीच सुरक्षित हैं और इस सन्नाटे में भी बच्चों और युवाओं को याद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों की मासूम हंसी और स्नेह उन्हें हमेशा रोमांचित करता है.
ओली ने क्या कहा ?
पत्र में ओली ने अपनी निजी पीड़ा का भी ज़िक्र किया. उन्होंने लिखा कि व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई के दौरान सरकार की यातनाओं के कारण उन्हें अपने बच्चों से वंचित होना पड़ा. लेकिन पिता बनने की चाहत कभी खत्म नहीं हुई. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 1994 में जब वे गृह मंत्री थे, तब उनके कार्यकाल में सरकार की ओर से एक भी गोली नहीं चलाई गई थी.
ओली ने मौजूदा आंदोलन को युवाओं की सच्ची आवाज़ नहीं, बल्कि एक गहरी साज़िश करार दिया. उनके अनुसार, सरकारी दफ्तरों में आगजनी, जेल से कैदियों की रिहाई जैसे कदम किसी निर्दोष विरोध का हिस्सा नहीं हो सकते. उन्होंने चेतावनी दी कि आज उस लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश की जा रही है जिसे संघर्ष और बलिदान से हासिल किया गया है.
ओली ने अपने स्वभाव को ज़िद्दी बताते हुए लिखा कि अगर वे ज़िद्दी न होते, तो अब तक हार मान चुके होते. उन्होंने सोशल मीडिया कंपनियों पर नियम लागू करने से लेकर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा घोषित करने जैसे कई फैसलों को अपनी ज़िद का नतीजा बताया. उन्होंने यहां तक कहा कि भगवान श्रीराम का जन्म नेपाल में हुआ था. पत्र के अंत में ओली ने स्पष्ट किया कि उनके लिए पद और प्रतिष्ठा से ज़्यादा देश की व्यवस्था महत्वपूर्ण है. यह वह व्यवस्था है जो लोगों को बोलने, घूमने और सवाल करने का अधिकार देती है और इसे बचाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है.