Moonquakes: अमूमन बारिश के कारन पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन देखने को मिलता है. इस वर्षा ऋतू में भारत के कई पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के इलाकों से प्राकृतिक आपदा और भूस्खलन से तबाही की तस्वीरें आई. आपको बता दें, इस आपदाओं के केवल धरती ही नहीं बल्कि चंद्रमा भी परेशान है. चीनी विश्वविद्यालयों द्वारा की गई हालिया रिसर्च में पता चला है कि चंद्रमा पर भूकंप आने से वहां कई जगह भूस्खलन हो रहे हैं. शोध में ऐसी 74 जगहों का पता चला है.
चांद पर शोध केंद्र बनाने की योजना
ऐसी भूस्खलन केवल धरती पर ही नहीं होती बल्कि चांद पर भी होती है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने हाल की एक रिसर्च में यह पाया है कि चांद पर भी धीरे-धीरे भूस्खलन हो रहां हैं. चांद पर हो रहे भूस्खलन की प्रमुख वजह चंद्र भूकंप (Moonquake) को बताया जा रहा हैं. चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रिसर्च से भविष्य में चीन को चंद्रमा पर स्थायी बेस बनाने के लिए सुरक्षित जगहों का चयन करने में मदद मिलेगी. चीन की योजना है की वह 2035 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अपना एक रिसर्च सेंटर स्थापित करे.
चीनी विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स की चांद पर रिसर्च
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में दिए गए रिपोर्ट के मुताबिक, यह शोध चीन की सन यात-सेन यूनिवर्सिटी, फ़ूज़ौ यूनिवर्सिटी और शंघाई नॉर्मल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है. इस शोध में मिली खोज को 11 सितंबर को चीन की नेशनल साइंस रिव्यू नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया. यह पत्रिका चीनी विज्ञान अकादमी के दिशानिर्देशन में प्रकाशित की जाती है. इस शोध के विषय में शोधकर्ताओं ने लिखा कि, मानव सभ्यता पहले कभी चांद के इतने करीब नहीं थी जितनी अब है. अब चांद पर स्थायी ढांचे बनाए जा सकेंगे जिसका उपयोग वैज्ञानिक शोध केंद्रों अथवा गहरे अंतरिक्ष चौकियों के रूप में होगा.
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अपोलो मिशन से मिली मूनक्वैक्स की जानकारी
शोधकर्ताओं ने बताया कि अपोलो मिशनों के दौरान चंद्र भूकंपों का पता चला, पहले यह माना जाता था कि चंद्रमा की भूगर्भीय गतिविधियां लगभग समाप्त हो चुकी हैं. इसलिए, चांद पर भूकंपों के खतरों का मूल्यांकन और सम्बंधित शोध नहीं किए गए थे.
भविष्य की योजना
इस नए शोध में चीनी वैज्ञानिकों ने 2009 के बाद चाँद पर 41 नए भूस्खलन खोजे. चंद्रमा के सबसे अस्थिर क्षेत्रों में 74 स्थानों की 562 जोड़ी तस्वीरों (पहले और बाद की) की तुलना करके शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है. यह खोज चीनी शोधकर्ताओं और चीनी वैज्ञानिकों को चांद पर सुरक्षित और स्थिर स्थानों का चयन करने में मदद करेगी, ताकि भविष्य के मिशनों और शोध केंद्रों को सुरक्षित स्थानों पर और बेहतर तरीके से स्थापित किया जा सके.