उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की तानाशाही बढ़ती ही जा रही है. उत्तर कोरियाई लोगों पर उनके अत्याचारों का ब्यौरा देती UN की एक रिपोर्ट सामने आई है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया में विदेशी फिल्में और टेलीविजन धारावाहिक देखने के लिए मृत्युदंड की सजा में वृद्धि हो रही है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा 12 सितंबर, 2025 को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के कानून इतने सख्त हो गए हैं कि यह दुनिया का सबसे कड़ा नियंत्रण वाला देश बन गया है.
UN की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से उत्तर कोरिया में कम से कम छह नए कानून बनाए गए हैं. इन कानूनों के तहत, विदेशी फिल्में और टीवी शो देखना यहां तक की दूसरों के साथ साझा करना अब एक गंभीर अपराध माना जाता है. इन अपराधों के लिए सीधे मौत की सजा हो सकती है.
देश छोड़कर भागे लोगों ने बताया कि 2020 के बाद से ऐसे अपराधों के लिए फांसी की सज़ा में तेज़ी से वृद्धि हुई है. सरकार लोगों को डराने और उन्हें कानून तोड़ने से रोकने के लिए सार्वजनिक रूप से ये फांसी देती है.
2020 के बाद फाँसी की सज़ाओं में हुई है वृद्धि
संयुक्त राष्ट्र के उत्तर कोरिया मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख जेम्स हीनन ने कहा कि साल 2020 कोविड-19 के दौरान लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के बाद से फाँसी की सज़ाओं की संख्या में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, “नए कानूनों के तहत कई लोगों को फाँसी दी गई है, खासकर लोकप्रिय के-ड्रामा सहित विदेशी टीवी धारावाहिकों के वितरण से संबंधित कानूनों के तहत.”
बच्चों को काम करने के लिए किया जा रहा है मजबूर
हीनन ने यह भी बताया कि उत्तर कोरिया में गरीब और कमज़ोर बच्चों को जबरन मजदूरी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इन बच्चों को कोयला खनन और निर्माण जैसे बेहद खतरनाक और कठिन कामों में धकेला जाता है. हीनन ने कहा, “अक्सर, ये बच्चे समाज के निचले तबके से आते हैं, जिनके पास रिश्वत देने के साधन नहीं होते. उन्हें ‘शॉक ब्रिगेड’ में काम पर रखा जाता है, जो बेहद खतरनाक काम करते हैं.”
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उत्तर कोरिया दुनिया का सबसे कड़ा नियंत्रण वाला देश
UN की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन सख्त नियमों और कठोर दंड प्रक्रियाओं के कारण, उत्तर कोरिया अब दुनिया का सबसे कड़ा नियंत्रण वाला देश बन गया है. सरकार ने सभी प्रकार की विदेशी सूचनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट 300 से ज़्यादा प्रत्यक्षदर्शियों और देश छोड़कर भागे उत्तर कोरियाई के साक्षात्कारों पर आधारित है.
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