India-China: सोमवार की सुबह भारत और चीन के रिश्तों को लेकर बड़ी खबर सामने आई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है जब दोनों देशों के बीच बीते कुछ सालों से सीमा विवाद के चलते तनातनी का माहौल बना हुआ है। जयशंकर की यह चीन यात्रा पूर्वी लद्दाख में 2020 के सैन्य तनाव के बाद पहली आधिकारिक यात्रा है, जिससे इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है।
चीन को भारत का सीधा संदेश
इस अहम बैठक में एस. जयशंकर ने साफ कहा कि भारत और चीन के रिश्तों का सामान्य होना वक्त की जरूरत है। दोनों देश बड़े पड़ोसी और वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं हैं, ऐसे में बातचीत और तालमेल से ही आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हालात फिलहाल काफी जटिल हैं और ऐसे समय में पड़ोसी देशों के बीच आपसी समझ और संवाद जरूरी है।
Pleased to meet Vice President Han Zheng soon after my arrival in Beijing today.
Conveyed India’s support for China’s SCO Presidency.
Noted the improvement in our bilateral ties. And expressed confidence that discussions during my visit will maintain that positive trajectory. pic.twitter.com/F8hXRHVyOE
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2025
SCO बैठक में लेंगे हिस्सा
जयशंकर इस समय चीन के तियानजिन शहर में हैं, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। यह बैठक इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्री मौजूद रहेंगे। जयशंकर ने भारत की ओर से चीन की SCO अध्यक्षता का समर्थन करने की बात भी दोहराई।
शहबाज को क्यों होगा झटका?
चीन को पाकिस्तान का “बेस्ट फ्रेंड” माना जाता है। ऐसे में भारत और चीन के रिश्तों में आ रही ये गर्माहट पाकिस्तान को असहज कर सकती है। कूटनीतिक रूप से यह भारत की बड़ी चाल मानी जा रही है, जो पाकिस्तान को चौंका सकती है। सोशल मीडिया पर जयशंकर की तस्वीरें और बयानों को देख पाक मीडिया में भी हलचल मच गई है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का जिक्र
विदेश मंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की पहल का भी स्वागत किया और कहा कि इससे भारत और चीन के लोगों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी। जयशंकर ने उम्मीद जताई कि सभी मुद्दों को शांतिपूर्वक तरीके से हल किया जाएगा। दोनों देशों के बीच जो नई बातचीत शुरू हुई है, वह भविष्य में सहयोग और स्थिरता की ओर इशारा कर रही है। यह बैठक रिश्तों को संतुलन और समझदारी की दिशा में ले जाने वाला एक अहम कदम माना जा रहा है।
जयशंकर की चीन यात्रा ने एक बार फिर साबित किया है कि भारत शांतिपूर्ण लेकिन मजबूती से कूटनीति को आगे बढ़ा रहा है। इससे पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ना तय है। अब देखना यह है कि चीन की प्रतिक्रिया इस नई गर्माहट पर कैसी आती है।