Iran US Relations: ईरान और अमेरिका के रिश्ते दशकों से उतार-चढ़ाव से गुजरते रहे हैं — कभी तनाव, तो कभी संवाद की झलक. लेकिन अब एक बार फिर संबंधों में ठंडक लौट आई है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने सोमवार को साफ कहा कि जब तक अमेरिका इजरायल का समर्थन करता रहेगा, मिडिल ईस्ट में सैन्य दखल और ठिकाने बनाए रखेगा, तब तक दोनों देशों के बीच दोस्ती संभव नहीं है.
अमेरिका-ईरान में होगी दोस्ती!
खामेनेई का यह बयान उस वक्त आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक ओर ईरान पर दबाव बढ़ा रहे हैं — प्रतिबंधों और धमकियों के जरिए — और दूसरी ओर दोस्ती की पेशकश भी कर रहे हैं. ट्रंप ने अक्टूबर में कहा था कि अमेरिका सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन ईरान के नजरिए से यह प्रस्ताव “एक हाथ में दोस्ती, दूसरे में डंडा” जैसा है. खामेनेई ने संकेत दिया कि अब ईरान आधे-अधूरे भरोसे पर कोई समझौता नहीं करेगा.
Pakistan के अफसरों का अपहरण कर उनके साथ क्या कर रहे हैं आतंकवादी? सुन मुनीर का भी फट गया कलेजा
क्या है दोनों देशों के बीच मुद्दा?
दोनों देशों के बीच चल रही परमाणु वार्ता भी इसी वजह से ठप पड़ी है. अब तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. मुख्य विवाद का मुद्दा है यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment) — अमेरिका और उसके सहयोगी चाहते हैं कि ईरान इसे पूरी तरह रोक दे, ताकि परमाणु हथियार निर्माण की संभावना खत्म हो. जबकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण और उसके संप्रभु अधिकारों का हिस्सा है.
ट्रंप की भी बड़ी हुई हैं मुश्किलें
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के लिए यह स्थिति एक राजनैतिक और कूटनीतिक चुनौती है. एक तरफ उन्हें घरेलू समर्थन बनाए रखने के लिए ईरान पर सख्ती दिखानी पड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ ऊर्जा संकट और मिडिल ईस्ट की अस्थिरता से जूझती अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए ईरान जैसे तेल उत्पादक देशों का सहयोग जरूरी है. मगर खामेनेई की कड़ी शर्तों के चलते, इस संभावित दोस्ती की राह फिलहाल बंद होती दिख रही है.
दुनिया के 10 प्रदूषित शहरों की लिस्ट से दिल्ली हुई बाहर, यहां देखें पूरी लिस्ट