Iran-US Relation: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने सोमवार को कहा कि जब तक अमेरिका इज़राइल का समर्थन करता रहेगा, मध्य पूर्व में हस्तक्षेप करता रहेगा और सैन्य अड्डे बनाए रखेगा, तब तक ईरान और अमेरिका के बीच दोस्ती नहीं हो सकती.
ईरान ने ट्रंप के सामने रखी शर्त
खामेनेई का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ईरान पर दबाव बढ़ा रहे हैं और साथ ही एक समझौते की बात कर रहे हैं. यानी एक हाथ में दोस्ती और दूसरे हाथ में लाठी. हालांकि ख़ामेनेई ने स्पष्ट कर दिया है कि तेहरान अब अर्धसत्य पर समझौता नहीं करेगा. उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह रखी कि जब तक अमेरिका इज़राइल को नहीं छोड़ देता, तब तक दोस्ती नहीं होगी. स्पष्ट रूप से अमेरिका-इज़राइल मित्रता ईरान के लिए सबसे बड़ी बाधा है.
Trump का खुला हाथ प्रस्ताव
अक्टूबर में राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा था कि अगर तेहरान तैयार हो तो अमेरिका ईरान के साथ सहयोग और मित्रता के लिए तैयार है. उन्होंने कहा “दोस्ती और सहयोग के लिए हमारा हाथ खुला है.” लेकिन सवाल यह है कि जब एक ओर अमेरिका दबाव बढ़ा रहा है प्रतिबंध लगा रहा है और दूसरी ओर खुले हाथ की बात हो रही है, तो ईरान इसे गंभीरता से कैसे ले सकता है? ख़ामेनेई का बयान इसी ओर इशारा करता है.
परमाणु वार्ता ठप
दोनों देशों के बीच पांच दौर की परमाणु वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. वार्ता का मुख्य मुद्दा यूरेनियम संवर्धन है. अमेरिका और उसके सहयोगी चाहते हैं कि ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को पूरी तरह से रोक दे, जिससे परमाणु हथियार विकसित करने की संभावना समाप्त हो जाए. हालाँकि, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और उसके संप्रभु अधिकारों का हिस्सा है. इसका मतलब है कि यहाँ मुद्दा सिर्फ़ तकनीकी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता का भी है.
ट्रम्प के लिए एक कठिन चुनौती
ट्रम्प के सामने ईरान के प्रति कड़ा रुख अपनाकर अपने घरेलू समर्थकों को खुश रखने की चुनौती है, साथ ही, उन्हें अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की भी ज़रूरत है, जो मध्य पूर्व में ऊर्जा संकट और अस्थिरता से जूझ रही है. इसके लिए उन्हें ईरान जैसे देशों से तेल आपूर्ति की आवश्यकता हो सकती है. हालाँकि, खामेनेई की शर्तें अमेरिकी विदेश नीति के विपरीत हैं, जिससे ट्रम्प के लिए इन शर्तों को स्वीकार करना लगभग असंभव हो जाता है.