Iran: ईरान जहां एक तरफ मिडिल ईस्ट में तनाव और अमेरिका के प्रतिबंध से परेशान है। वहीं दूसरी तरफ गहराता संकट और सूखा उसकी चिंता को बढ़ा रहा है। सूखे की वजह से हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि देश का 90 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा किसी न किसी स्तर पर सूखे की चपेट में है। झीलें सिकुड़ रही हैं, नदियाँ सूख रही हैं और भूजल स्तर तेज़ी से गिर रहा है।
तस्वीर उर्मिया की दर्दनाक तस्वीर
इस संकट की सबसे भयावह तस्वीर उर्मिया झील की है, जो कभी मध्य पूर्व की सबसे बड़ी झीलों में गिनी जाती थी। आज वही झील लगभग पूरी तरह सूख चुकी है। जहाँ कभी 5 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैली खारे पानी की झील थी, वहाँ अब बंजर ज़मीन और उड़ते हुए खारे तूफ़ान हैं।
उर्मिया झील का महत्व
ईरान की उर्मिया झील कभी दुनिया की छठी सबसे बड़ी खारे पानी की झील के रूप में प्रसिद्ध थी। यह झील जलवायु संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती थी। ईरान इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, दशकों की लापरवाही, बेतरतीब बांध निर्माण, हज़ारों वैध-अवैध बोरवेल और पानी के अत्यधिक दोहन ने इस झील को इस हालत में पहुँचा दिया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो गर्मियों के अंत तक झील पूरी तरह से गायब हो जाएगी।
इस गलती की वजह से पछता रहा ईरान
झील के बीच में सड़क बनाने से ईरान को भारी नुकसान हुआ है। ईरान इंटरनेशनल के अनुसार, 2000 के दशक की शुरुआत में झील के बीच में एक सड़क और पुल बनाया गया था, जिससे झील दो हिस्सों में बँट गई। इससे पानी का प्रवाह बाधित हुआ और झील का दक्षिणी भाग पहले सूख गया और नमक का मैदान बन गया।
झील में अभी भी 1 से 2 अरब टन नमक मौजूद है। पानी सूखते ही तेज़ हवाएँ नमक को आसपास के गाँवों और शहरों में फैला रही हैं। इससे फसलों को नुकसान, जल स्रोतों के प्रदूषण और गंभीर श्वसन रोगों का खतरा बढ़ गया है। उर्मिया, सलमास और तबरीज़ जैसे शहरों की लगभग 50 लाख आबादी आज विस्थापन के संकट से जूझ रही है।
ईरान में इस भीषण सूखे का कारण क्या है?
ईरान पिछले पाँच सालों से भीषण सूखे की चपेट में है और वर्ष 2025 में स्थिति और भी बदतर हो सकती है। इस वर्ष सामान्य से काफ़ी कम बारिश हुई, जिसके कारण बाँधों के जलाशय खाली हो गए हैं और पूरे देश में पानी की भारी कमी है। द ग्लोबलिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के जल संकट का सबसे बड़ा कारण कृषि में अत्यधिक जल की खपत है।
लगभग 9 करोड़ की आबादी वाला यह देश हर साल लगभग 100 अरब घन मीटर पानी की खपत करता है। यह पड़ोसी देश तुर्की से लगभग दोगुना है, जबकि तुर्की की आबादी भी लगभग इतनी ही है। देश के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुँच गया है। इस रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने रेतीले तूफ़ानों और सूखे की घटनाओं को और बढ़ा दिया है।