Home > विदेश > धीमी रफ्तार दोगुनी तबाही, मेलिसा तूफान कैरिबियन में मचा रहा है कहर; इसकी चाल देख विशेषज्ञों का घूम गया सर

धीमी रफ्तार दोगुनी तबाही, मेलिसा तूफान कैरिबियन में मचा रहा है कहर; इसकी चाल देख विशेषज्ञों का घूम गया सर

Hurricane Melissa News: धीमी गति के कारण यह समुद्र के गर्म पानी से लगातार ऊर्जा सोख रहा है, जिससे यह और भी ताक़तवर होता जा रहा है.

By: Shubahm Srivastava | Published: October 26, 2025 2:43:44 AM IST



Hurricane Melissa: कैरिबियन सागर में बना उष्णकटिबंधीय तूफ़ान ‘मेलिसा’ वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य और चिंता का विषय बन गया है. इसकी गति मात्र 4 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो सामान्य तूफ़ानों की तुलना में बहुत धीमी है. आमतौर पर तूफ़ान 16-19 किमी/घंटा की रफ्तार से चलते हैं, लेकिन मेलिसा की सुस्ती ही इसकी सबसे बड़ी ताकत साबित हो रही है. 

धीमी गति के कारण यह समुद्र के गर्म पानी से लगातार ऊर्जा सोख रहा है, जिससे यह और भी ताक़तवर होता जा रहा है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में यह श्रेणी 4 या 5 का अत्यधिक विनाशकारी तूफान बन सकता है, जिसकी गति 150 से 251 समुद्री मील तक पहुंच सकती है.

विशेषज्ञों ने इसे बताया ट्रिपल थ्रेट

विशेषज्ञों ने इसे ट्रिपल थ्रेट कहा है, क्योंकि यह न केवल तेज़ हवाएं और भारी बारिश लाएगा, बल्कि इसकी स्थिरता विनाश को और बढ़ा सकती है. इसकी धीमी चाल के कारण यह क्षेत्रों में लंबे समय तक बारिश करता रहेगा, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का ख़तरा बढ़ गया है. वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन का नतीजा मानते हैं, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग ने तूफ़ानों की गति को प्रभावित किया है — अब वे कम गति से चलते हुए ज़्यादा ऊर्जा जमा कर रहे हैं और दोगुना नुकसान पहुंचा रहे हैं.

ईरान या रूस नहीं, अमेरिका ने इस देश के पास तैनात किया अपना विमानवाहक पोत; क्या छिड़ने वाली है एक और जंग?

हैती में जमकर मचाई तबाही

हैती इस तूफ़ान से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है. देश के कई इलाकों में अचानक बाढ़ और भूस्खलन से दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है. राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस में सड़कें जलमग्न हैं, पहाड़ी इलाकों में पत्थर गिरने से कई रास्ते बंद हो गए हैं. पूर्वी क्यूबा, दक्षिणी बहामास और जमैका में भी अलर्ट जारी है.

इसके अलावा अगर मेलिसा श्रेणी 5 का तूफ़ान बनता है, तो इसका प्रभाव 1988 के गिल्बर्ट तूफ़ान से भी ज़्यादा विनाशकारी हो सकता है. हज़ारों घर उड़ सकते हैं, बिजली और संचार व्यवस्था ठप हो सकती है. कई देशों ने पहले से 650 से अधिक राहत शिविर तैयार कर लिए हैं, जबकि हवाई अड्डों को बंद कर दिया गया है.

‘ट्रिशूल’ की दहाड़, पश्चिमी सीमा पर 10 दिन का भारतीय ‘शो ऑफ़ फ़ोर्स’, कराची-सिंध बेल्ट पर नज़र, पाकिस्तान हाई अलर्ट पर!

Advertisement