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Explainer: असीम मुनीर बने पाकिस्तान के नए सर्वेसर्वा, बन गए पीएम से भी ज्यादा शक्तिशाली; जानें क्यों इस पूर्व प्रधानमंत्री की बढ़ने वाली है मुश्किलें

Pakistan most powerful leader: असीम मुनीर अब पाकिस्तान की तीनों सेनाओं—थल सेना, नौसेना और वायुसेना—के सर्वोच्च कमांडर बन गए हैं और उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होगा.

By: Shubahm Srivastava | Published: December 7, 2025 11:54:53 PM IST



Pakistan CDF Asim Munir: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने देश में एक बड़े संवैधानिक बदलाव के बाद फील्ड मार्शल असीम मुनीर को औपचारिक रूप से देश का पहला रक्षा प्रमुख यानी चीफ ऑफ डिफेंस (CDF) नियुक्त कर दिया है. इस नियुक्ति के साथ असीम मुनीर अब पाकिस्तान की तीनों सेनाओं—थल सेना, नौसेना और वायुसेना—के सर्वोच्च कमांडर बन गए हैं और उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होगा. यह पद पाकिस्तान के इतिहास का सबसे शक्तिशाली सैन्य पद माना जा रहा है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट तक से ऊपर की कानूनी सुरक्षा और अधिकार प्रदान करता है. 

पाकिस्तान के इतिहास का सबसे विवादास्पद फैसला

संविधान में 1973 के बाद हुए 27वें संशोधन के जरिए इस पद को स्थायी बनाया गया, जिसे पाकिस्तान के इतिहास का सबसे विवादास्पद राजनीतिक-सैन्य कदम बताया जा रहा है. संशोधन के बाद नेशनल स्ट्रैटेजिक कमांड (NSC) नामक नई इकाई का गठन किया गया है जो देश के परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम की निगरानी एवं नियंत्रण करेगी, और इसका नेतृत्व भी अब CDF यानी असीम मुनीर ही करेंगे.

मुनीर पाक के सबसे शक्तिशाली सैन्य अधिकारी

असीम मुनीर पाकिस्तान के इतिहास में फील्ड मार्शल बनाए जाने वाले जनरल अयूब खान के बाद दूसरे अधिकारी हैं. यह पद और CDF दोनों अपने पास रखने के बाद मुनीर देश के सबसे शक्तिशाली सैन्य अधिकारी बन गए हैं. डॉन अखबार ने इसे “पाकिस्तान में सैन्य वर्चस्व की नई शुरुआत” कहा है. उधर इस नियुक्ति ने देश में राजनीतिक संकट को भी तेज कर दिया है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार असीम मुनीर के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं. 

इमरान खान को लेकर हंगामा जारी

इमरान खान इस समय रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं और हाल ही में उनकी प्रताड़ना और मौत से जुड़ी अफवाह फैलने पर PTI समर्थक हजारों की संख्या में रावलपिंडी की ओर कूच कर गए थे. जेल प्रशासन को स्थिति काबू में लाने के लिए इमरान खान की बहन को तुरंत उनसे मिलने की इजाजत देनी पड़ी. इमरान खान ने जेल से ही असीम मुनीर पर हमला बोला था, जिसके बाद माना जा रहा है कि नए सैन्य ढांचे में उनके लिए स्थिति और कठिन हो जाएगी.

मुनीर की बढ़ती शक्ति, इमरान खान की बढ़ेगी मुश्किलें

CDF नियुक्ति के कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने इमरान खान को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि इमरान अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं और किसी को भी सेना के खिलाफ लोगों को भड़काने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस बयान ने यह संकेत साफ कर दिया कि मुनीर की बढ़ी शक्ति के बाद इमरान खान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की पूरी संभावना है. 

पाकिस्तान में फिर से बड़ रही सेना की पकड़

इसके बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने यह आशंका जताई है कि पाकिस्तान एक बार फिर सेना की कठोर पकड़ की ओर बढ़ रहा है, जैसा कि पहले अयूब खान, याह्या खान, जिया-उल-हक़ और परवेज़ मुशर्रफ के शासन में देखा गया था.

क्या हैं CDF की शक्तियां?

CDF की शक्तियों के संदर्भ में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि पाकिस्तान की तीनों सेनाओं की असल कमान अब एक ही व्यक्ति के हाथों में केंद्रित हो गई है. पहले सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख समान स्तर पर थे, लेकिन अब उनकी शक्तियाँ CDF के अधीन होंगी. इससे नेवी और एयरफोर्स में असंतोष की संभावना जताई जा रही है क्योंकि उनकी स्वायत्त भूमिका समाप्त हो गई है. 

परमाणु हथियार अब मुनीर के हाथों में

इसके अलावा, परमाणु हथियारों और मिसाइल कमांड की जिम्मेदारी जो पहले प्रधानमंत्री के अंतर्गत होती थी, अब पूरी तरह CDF के अधीन होगी. यह बदलाव न केवल पाकिस्तान के भीतर सत्ता संतुलन को बदल देगा बल्कि भारत, अफगानिस्तान और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी नए समीकरण पैदा करेगा. भारत के संदर्भ में विशेषज्ञों का कहना है कि एक व्यक्ति के हाथ में परमाणु कमांड सौंपी जाने से मिसकैलकुलेशन का खतरा बढ़ सकता है और सीमा संबंधी तनाव और गहरा हो सकता है.

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पाकिस्तान का गलत और खतरनाक कदम – संयुक्त राष्ट्र 

इस बदलाव का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी असर दिखाई दे रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे पाकिस्तान का गलत और खतरनाक कदम बताया है जबकि अमेरिका ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है. विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है और कहा है कि शहबाज शरीफ सरकार ने स्वयं अपनी शक्तियाँ कम करके सेना को सर्वोच्च बना दिया है. 

आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी

आलोचकों के अनुसार यह कदम दीर्घकाल में पाकिस्तान की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करेगा और सेना को स्थायी वर्चस्व प्रदान करेगा. विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इससे पाकिस्तान में आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है, और यदि सैन्य कमान के भीतर विरोध बढ़ा तो आंतरिक विद्रोह की आशंका भी पैदा हो सकती है.

परवेज़ मुशर्रफ की राह पर मुनीर!

इतिहासकारों का कहना है कि पाकिस्तान की स्थापना से लेकर आज तक देश नागरिक और सैन्य शासन के बीच डांवाडोल रहा है. 1999 में परवेज़ मुशर्रफ ने तख्तापलट करके सत्ता संभाली थी और 2008 तक शासन किया था. अब असीम मुनीर के हाथों में जो शक्ति सौंपी गई है, उसे कई विशेषज्ञ सैन्य शासन की “सॉफ्ट वापसी” बता रहे हैं. 

क्या होगा पाक का भविष्य?

यह कदम पाकिस्तान की राजनीति और सुरक्षा ढांचे में एक निर्णायक बदलाव माना जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में पाकिस्तान की स्थिरता, लोकतंत्र, बाहरी संबंधों और क्षेत्रीय शांति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. कई जानकारों ने इसे पाकिस्तान के लिए दीर्घकालिक रूप से घातक बताया है और कहा है कि यह नेतृत्व देश को एक अनिश्चित भविष्य की ओर धकेल सकता है.

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