Bangladesh Air Force Jet Crash: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक बड़ा हादसा हुआ। बांग्लादेश वायु सेना का एक F-7 BGI प्रशिक्षण विमान माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान चीन में बना था। इसका इस्तेमाल पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता था। इस दुर्घटना में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार लोग घायल हो गए।
टीवी पर दिखाई गई तस्वीरों में दुर्घटनास्थल से धुआँ और आग की लपटें उठती दिखाई दे रही थीं। इस दुर्घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया और लोग अब इस F-7 विमान के बारे में जानना चाहते हैं। आइए समझते हैं कि यह F-7 विमान क्या है, यह क्यों दुर्घटनाग्रस्त हुआ और बांग्लादेश वायु सेना में इसकी क्या भूमिका है।
ढाका में क्या हुआ था?
21 जुलाई, 2025 को दोपहर लगभग 1:06 बजे, बांग्लादेश वायु सेना का एक F-7 BGI प्रशिक्षण विमान ढाका के उत्तरा इलाके में माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान एक प्रशिक्षण मिशन पर था। उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना के समय कॉलेज में बच्चे मौजूद थे, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। आग लगने के कारण दुर्घटनास्थल पर धुआँ और आग की लपटें देखी गईं।
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने पुष्टि की है कि विमान बांग्लादेश वायु सेना का था। पायलट की स्थिति के बारे में अभी स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। अग्निशमन और बचाव दल तुरंत घटनास्थल पर पहुँच गए और नुकसान का आकलन कर रहे हैं। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट के अनुसार, पायलट की मृत्यु हो गई, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
एफ-7 जेट क्या है?
एफ-7 चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (सीएसी) द्वारा निर्मित एक हल्का लड़ाकू विमान है। यह मूल रूप से सोवियत संघ के मिग-21 लड़ाकू विमान का चीनी संस्करण है, जिसे 1960 के दशक में डिज़ाइन किया गया था।
एफ-7 को जे-7 के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन इसके निर्यात संस्करण को एफ-7 कहा जाता है। बांग्लादेश, पाकिस्तान, मिस्र और लीबिया जैसे कई देशों की वायु सेनाएँ इसका इस्तेमाल करती हैं। खासकर प्रशिक्षण और छोटे लड़ाकू अभियानों के लिए।
एफ-7 का इतिहास और कमियाँ
एफ-7 जेट 1960 के दशक के मिग-21 का चीनी संस्करण है। इसे सस्ता और हल्का इसलिए बनाया गया ताकि विकासशील देश इसे आसानी से खरीद सकें। लेकिन इसमें कुछ कमियाँ भी हैं…
पुराना डिज़ाइन: इसका मूल डिज़ाइन 50 साल पुराना है, जो आधुनिक जेट विमानों के सामने कमज़ोर है।
सीमित हथियार: यह केवल कम दूरी की मिसाइलें ही ले जा सकता है, जिससे यह लंबी दूरी की हवाई लड़ाई में कमज़ोर हो जाता है।
रखरखाव: पुराने इंजन और सिस्टम के कारण, इसे बार-बार रखरखाव की आवश्यकता होती है, जिससे दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।
ऑपरेशन सिंदूर में भी चकनाचूर हुआ था चीनी सामान
यह पहली बार नहीं है जब पूरी दुनिया में चीनी हथियारों का अपमान हुआ हो। इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर में भी पाकिस्तान चीनी सामानों के कारण धोखा खा गया था। भारतीय हमले में लाहौर स्थित चीन का वायु रक्षा रडार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। पंजाब के चुनियन एयरबेस पर तैनात चीन का YLC-8E एंटी-स्टील्थ रडार पूरी तरह से नष्ट हो गया था।
चीन से प्राप्त ड्रोन और AR-1 लेज़र-गाइडेड मिसाइलें, जिन्हें पाकिस्तान ने भारत पर दागा था, भारतीय रक्षा प्रणाली द्वारा हवा में ही नष्ट कर दी गईं। इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि पाकिस्तान के पास जो चीनी हथियार और लड़ाकू विमान थे, वे गंभीर संकट के समय कारगर नहीं थे।