Donald Trump Criticism: पॉलिटिकल एक्सपर्ट कैरल क्रिस्टीन फेयर ने पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश पत्रकार मोईद पीरज़ादा के साथ एक साक्षात्कार के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को “च***या” कहा, जिस पर लोगों ने खूब ठहाके लगाए। इसके बाद उन्होंने इस अपशब्द को दोहराया और ट्रंप प्रशासन की व्यापक आलोचना की।
अमेरिकी राष्ट्रपति को कहा “च***या”
कैरल क्रिस्टीन फेयर ने कहा, “मेरे अंदर का आशावादी व्यक्ति यह मानना चाहेगा कि नौकरशाही सब कुछ संभाल लेगी। लेकिन मेरे अंदर का निराशावादी कहता है, अभी छह महीने हैं और हमें यहाँ चार साल का यह च***या झेलना पड़ेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “यही वह शब्द है जो मैं उर्दू में बार-बार इस्तेमाल करती हूँ और मेरे कई दर्शक इस पर आपत्ति जताते हैं। आपने इसे एक अंग्रेजी चर्चा में इस्तेमाल कर लिया है।” मोईद पीरज़ादा ने जवाब दिया, “च***या शब्द का इतना बड़ा महत्व है कि कई बार आप च***या कहे बिना किसी स्थिति का वर्णन नहीं कर सकते।”
Christine Fair called Donald Trump a ‘Chutiya’ in an interview with Moeed Pirzada! pic.twitter.com/Qsv0CTpxor
— Sensei Kraken Zero (@YearOfTheKraken) August 25, 2025
ट्रंप के साथ उनके अधिकारियों की भी की आलोचना
इस पर, कैरल क्रिस्टीन फेयर ने कहा कि उनकी कार की “लाइसेंस प्लेट च***या है।” डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की आलोचना करते हुए, कैरोल क्रिस्टीन फेयर ने यह भी कहा, “मैं ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों की बनावटी छवि के बारे में कुछ नहीं कह सकती। दुर्भाग्य से, ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारी अपने क्षेत्र में बहुत ज़्यादा विशेषज्ञ नहीं हैं। इसलिए उन्हें ही एकमात्र महत्वपूर्ण शक्ति मान लेना बहुत लुभावना है।”
उन्होंने आगे कहा “लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि हमारे पास एक जटिल नौकरशाही है। और यह नौकरशाही पिछले 25 वर्षों से इस रिश्ते को मज़बूत करने के लिए काम कर रही है। इस नौकरशाही का एक बड़ा हिस्सा अभी-अभी शुरू हुआ है। हमने अभी-अभी हज़ारों विदेश विभाग के कर्मचारियों को खोया है। हमें इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि वह विशेषज्ञता कहाँ खो गई”।
कौन हैं कैरल क्रिस्टीन?
कैरल क्रिस्टीन फेयर एक अमेरिकी राजनीति विज्ञानी और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं, जो दक्षिण एशियाई राजनीतिक और सैन्य मामलों में विशेषज्ञता रखती हैं। उन्होंने रैंड कॉर्पोरेशन, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र और यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के साथ काम किया है। उन्होंने पाकिस्तानी सेना और लश्कर-ए-तैयबा पर किताबें लिखी हैं।
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