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हरम की औरतों को खुश करने के लिए ये ‘खास’ चीज़ खाता था शाहजहां, ‘गुप्त रसोई’ में बनता था सेक्स पावर बढ़ाने वाला खाना

मुगल बादशाह शाहजहां ने बुढ़ापे तक हरम की औरतों को खुश करने के लिए चांदी के वर्क वाले चावल, सोने की भस्म और खास व्यंजनों का सेवन किया। जानिए मुगलों के शाही खाने और किन्नरों की खास भूमिका की अनसुनी कहानी।

By: Kavita Rajput | Published: September 5, 2025 2:03:05 PM IST



बादशाहों की जिंदगी जितनी आलीशान थी, उतनी ही रहस्यमयी भी थी। आज हम आपको मुग़ल बादशाह शाहजहां से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी बताएंगे जिसे जानकर आप भी दांतों तले उंगली दबा लेंगे। दरअसल, आज हम आपको बताएंगे कि हरम में बादशाह की ताकत को बरकरार रखने के लिए किन खास तरह के व्यंजन और औषधियों को तैयार किया जाता था। इतिहासकारों और विदेशी यात्रियों के विवरण बताते हैं कि शाहजहां जैसा सम्राट बुढ़ापे तक अपनी कामोत्तेजना को बनाए रखने के लिए खान-पान में तरह-तरह के प्रयोग करते रहता था।

डच यात्री का खुलासा, ऐसा खाना बनाते थे रसोइए
डच व्यापारी और यात्री सेबेस्टियन मैनरिक (Sebastian Manrique) ने अपनी पुस्तक Travels of Fray Sebastian Manrique में मुगल दरबार के शाही व्यंजनों का जिक्र किया है। उनके अनुसार बादशाह का भोजन केवल रसोइयों के हवाले नहीं था बल्कि हकीम भी उस पर नजर रखते थे। उनका मकसद यह होता था कि खाने में ऐसे पोषक तत्व हों जो बादशाह की सेक्स पावर और कामोत्तेजना को बढ़ा सकें।

चांदी के वर्क वाले चावल खाता था शाहजहां
इतिहासकारों की मानें तो शाहजहां को परोसे जाने वाले चावल पर चांदी का वर्क लगाया जाता था। चांदी पाचन क्रिया को मजबूत करने और यौन शक्ति बढ़ाने में मददगार होती है, यही वजह थी कि शाहजहां इसका सेवन करता था। बताते हैं कि शाहजहां के लिए ये खाना खास तौर पर गंगा के पानी या बरसात के पानी में पकाया जाता था।

सोने की भस्म और स्पेशल नॉनवेज भी परोसे जाते थे 
इतिहासकार बताते हैं कि शाहजहां अपनी मर्दाना ताकत बनाए रखने के लिए सोने की अशर्फियों से बनी भस्म का भी सेवन करता था। इतना ही नहीं, मुग़ल काल के कुछ बादशाह जंगली खरगोश का मांस और काले हिरण की नाभि को भी पकाकर खाते थे। इन्हें शक्तिवर्धक और कामोत्तेजक माना जाता था।

किन्नर परोसते थे खाना 
हरम और शाही भोजन से जुड़ी परंपराओं में किन्नरों की भी खास भूमिका थी। कहा जाता है कि मुगल बादशाहों को शाही व्यंजन परोसने की जिम्मेदारी किन्नरों पर होती थी। यह परंपरा केवल खाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि हरम की सुरक्षा और व्यवस्था का जिम्मा भी उनके ही हिस्से होता था।

आपको बता दें कि शाहजहां ने भारत पर 1628 ईसवी से 1658 ईसवी तक राज  किया था। वे मुगल साम्राज्य के पांचवें बादशाह और अकबर के पोते तथा जहांगीर के बेटे थे।उनके राज को मुगल वास्तुकला का गोल्डन एरा कहा जाता है क्योंकि इसी दौरान ताजमहल, लाल किला, जामा मस्जिद जैसी ऐतिहासिक इमारतें बनीं। 1658 में उनके बेटे औरंगज़ेब ने उन्हें कैद कर लिया और इसके बाद शाहजहां का शासन खत्म हो गया। 

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