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मुगल हरम की महिलाओं पर इतनी धन-दौलत लुटाता था बादशाह, हर महीने देता था मोटी रकम!

मुगल हरम में रहने वाली शाही महिलाओं का हमेशा विशेष ध्यान रखा जाता था और उन्हें हर महीने मोटी रकम दी जाती थी.

By: Kavita Rajput | Published: September 23, 2025 4:35:24 PM IST



Mughal Harem Secrets: मुगलों ने भारत पर कई सालों तक राज किया. इस दौरान उनकी अय्याशी और विलासिता के किस्से भी काफी मशहूर हुए. अय्याशी के लिए मुगलों ने अपने महलों में हरम बनाए हुए थे जिनमें वो रानियों, बेगमों, दसियों और राजकुमारियों को रखा करते थे. हरम में युद्ध के दौरान पराजित हुए राज्य की महिलाओं को लाकर भी कैद कर दिया जाता था और उन्हें बादशाह अपनी गुलाम बनाकर अय्याशी के लिए जैसे चाहें वैसा इस्तेमाल करते थे. 

वैसे ऐसा नहीं है कि हरम में रहने वाली महिलाओं को केवल यातनाएं ही झेलनी पड़ती थीं. हरम में भी बादशाह की बेगमों और बेटियों का राज होता था और इन्हें मुग़ल मोटी तनख्वाह देते थे.आज हम आपको बताते हैं कि हरम में रहने वाली महिलाओं को क्या-क्या मिलता था?

मुगल हरम की महिलाओं पर इतनी धन-दौलत लुटाता था बादशाह, हर महीने देता था मोटी रकम!

अकबर से लेकर हुमायूं तक देते थे तनख्वाह 
अकबर हो या हुमायूं, हरम में रहने वाली शाही महिलाओं का हमेशा विशेष ध्यान रखा जाता था और उन्हें हर महीने मोटी रकम दी जाती थी.
शाहजहां की बेटी और औरंगजेब की बहन जहांआरा बेगम तो सबसे ज्यादा तनख्वाह पाने वाली शहजादी थीं. उन्होंने सालाना 7 लाख रुपए दिए जाते थे. मुमताज़ के इंतकाल के बाद तो इसमें 4 लाख रुपए का और इजाफा किया गया था.धीरे-धीरे उनकी सालाना तनख्वाह 17 लाख रुपए तक पहुंच गई थी.  

तनख्वाह के अलावा शाही महिलाओं को जागीरें भी देने का चलन था जिसे हमेशा निभाया गया. जहांआरा इसमें भी आगे थीं. उन्हें जागीरों से मिलने वाला राजस्व भी मिलता था. इतिहासकारों के मुताबिक, पानीपत के पास एक जागीर से जहांआरा को एक करोड़ का राजस्व हासिल होता था. इसके अलावा उन्हें सूरत के बंदरगाह से भी शुल्क के जरिए मोटी रकम मिलती थी. 

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दासियों और हिजड़ों को भी मिलता था वेतन

ये तो हुई शहजादी और रानियों की बात, अब हम आपको बताते हैं कि हरम में काम करने वाली दासियों और नाचने-गाने वाली महिलाओं या हरम की सुरक्षा करने वाले  हिजड़ों को क्या मिलता था. हरम के छोटे-मोटे काम करने वाली दासियों को दो से दस रुपए तक का मासिक वेतन दिया जाता था. नाचने-गाने वाली महिलाओं या हरम में साज-सज्जा का काम करने वाली महिलाओं को 20 से 30 रुपए का मासिक वेतन दिया जाता था. इसके अलावा उन्हें ईद या किसी त्यौहार पर कपड़े, सोने-चांदी के गहने भी दिए जाते थे. रानी, बादशाह या शहजादी किसी दासी के काम से खुश होकर उन्हें इनाम भी दिया करते थे. वहीँ हरम की सुरक्षा करने वाले हिजड़ों को भी वेतन और जागीरें दी जाती थीं.

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