Mughal Harem Secrets: ‘हरम’ एक ऐसा शब्द जिसका नाम लेते ही आंखों के सामने मुगल काल की छवि उभरने लगती है. मुगलों के दौर में हरम का एक विशेष स्थान हुआ करता था. ये बादशाह की फेवरेट जगहों में से एक हुआ करता था. हो भी क्यों ना, क्यूंकि बताते हैं कि यही वो जगह हुआ करती थी जहां वो अपनी थकान मिटाने और अय्याशी करने आया करते थे. हरम का कल्चर भारत में बाबर के दौर से शुरू हुआ था. वहीं, अकबर के समय में ये काफी फला-फूला, इतिहासकारों की मानें तो अकबर के हरम में लगभग 5000 के करीब बला की खूबसूरत महिलाएं थीं. बहरहाल, आज हम आपको हरम से जुड़े कुछ अनसुने किस्से सुनाने जा रहे हैं.

हरम में बेगमों के हुआ करते थे जलवे
बताते हैं कि हरम में ना सिर्फ ईनाम में मिली महिलाएं और लड़कियां रहती थीं बल्कि शाही परिवार की शहज़ादियां और बेगमें भी यहीं रहती थीं. इतिहासकारों की मानें मुगल हरम में रहने वाली इन बेगमों के बड़े जलवे हुआ करते थे, ये एक बार जो कपड़े पहनतीं उसे दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाती थीं. इन कपड़ों को बाद में हरम में मौजूद अन्य महिलाओं को दे दिया जाता था. वहीं ये बेगमें जो भी साजो सामान एक बार इस्तेमाल कर लेती थीं उसे दोबारा हाथ नहीं लगाती थीं. इससे हरम में उनकी शानो शौकत का अंदाजा लगता था.
एक विशेष किस्म का इत्र लगाती थीं बेगमें
हरम में महंगी शराब और एक से एक लजीज खाने का प्रबंध तो होता ही था साथ ही यहां बादशाह को ललचाने के लिए एक विशेष किस्म के इत्र का प्रयोग भी किया जाता था. इस इत्र को ऊद कहते हैं, इतिहासकारों की मानें तो बादशाह को रिझाने के लिए हरम की महिलाएं इसी इत्र से स्नान किया करती थीं ताकि उनके शरीर से लंबे समय तक एक ख़ास किस्म की खुशबू आती रहे. आपको बताते चलें कि जब भी कोई बादशाह युद्ध जीतकर आता तो सबसे पहले वो अपने हरम का ही रुख करता था. यहां अपनी थकान मिटाने के बाद ही वो आगे के काम में लगता था.