गुड़गांव की 31 साल की मुकेश ने समाज की नीची सोच को तोड़ते हुए साबित किया है कि महिलाएं केवल घर तक सीमित नहीं रहतीं वो घर के बाहर भी धमाल मचा सकती हैं. मूलरूप से हिसार की रहने वाली मुकेश इतिहास विषय में ग्रेजुएट हैं, लेकिन परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों के चलते ऑफिस जॉब करना उनके लिए संभव नहीं था. ऐसे में उन्होंने खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक नया कदम उठाया, उन्होंने कैब ड्राइवर बनने का सोचा.
सुबह 8:30 बजे से शुरू हो जाता है काम
मुकेश का दिन सुबह साढ़े 8 बजे शुरू होता है जब गुड़गांव की भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर वे अपनी गाड़ी लेकर यात्रियों को ऑफिस, स्कूल तक पहुंचाती हैं. बच्चों की देखभाल और परिवार की जिम्मेदारियां निभाते हुए वे शाम साढ़े 4 बजे तक काम करती हैं. ये बैलेंस बनाना आसान नहीं था, लेकिन मुकेश ने धैर्य और मेहनत से इसे संभव किया. उन्होंने ये साबित किया कि परिवार और करियर दोनों साथ-साथ चल सकते हैं.
2 साल में जीता लोगों का दिल
मुकेश की मेहनत रंग लाई है. मात्र दो साल के अंदर उन्होंने यात्रियों का विश्वास जीतते हुए 4.9 की शानदार रेटिंग हासिल की है. रोजाना औसतन 2 से 2.5 हजार रुपये कमाकर वे न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए एक नई मिसाल भी कायम कर रही हैं. गुड़गांव की ट्रैफिक भरी सड़कों पर उनकी हिम्मतत युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है.
पति का सपोर्ट
मुकेश की सफलता में उनके पति रबिंद्र सिंह का योगदान भी अहम रहा है. मूलरूप से जींद के रहने वाले इंजीनियर रबिंद्र ने हमेशा पत्नी के सपनों को सपोर्ट किया. उन्होंने मुकेश को कहा, “लोगों की बातों से घबराओ मत, अपने काम पर ध्यान दो.” इस सोच ने मुकेश को आत्मनिर्भर बनने की राह पर आगे बढ़ने में मदद की. पति का सपोर्ट और परिवार की समझदारी ने मुकेश की हिम्मत को और मजबूत किया.
प्रेरणा का स्रोत
मुकेश की कहानी ये दिखाती है कि जब महिला अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत से कदम बढ़ाती है, तो वो न केवल अपने परिवार का संबल बनती है, बल्कि समाज में बदलाव की मिसाल भी कायम करती है. उन्होंने य साबित कर दिया है कि कोई भी बाधा महिलाओं को रोक नहीं सकती, यदि वे अपने सपनों के प्रति डेडिकेटेड हों. उनकी ये यात्रा उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो लोगों सोच को तोड़कर अपने लिए नई राह बनाना चाहती हैं.