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ताजमहल के 22 बंद कमरे खोलेंगे रहस्यों का खजाना! हर दरवाजे के पीछे छिपी है चौंकाने वाली कहानी

Taj Mahal: आगरा में ताजमहल प्यार की निशानी और दुनिया के अजूबों में से एक है. लेकिन आप जानते है सबसे बड़ा रहस्य इसके 22 कमरे में छिपा है. आज जानेंगे आखिर क्यों बन्द है?

By: Mohammad Nematullah | Published: November 3, 2025 7:30:38 PM IST



Taj Mahal: आगरा में ताजमहल प्यार की निशानी और दुनिया के सात अजूबों में से एक है. शाहजहां ने इसे अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया. लेकिन क्या आप जानते है कि अपनी खूबसूरती के साथ-साथ ताजमहल कई रहस्यों को भी समेटे हुए है. सबसे बड़ा रहस्य इसके 22 बंद कमरें में छिपा है. जो सदियों से बंद पड़े है.

कब बना था ताजमहल?

आगरा में ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेपनाह मोहब्बत मुमताज महल की याद में करवाया था. इसका निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 तक चला. यह स्मारक भारतीय, फारसी, तुर्की और इस्लामी वास्तुकला का अनूठा मिश्रण है. इसका मुख्य मकबरा सफेद संगमरमर से बना है. इसकी बारीक नक्काशी सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है. ताजमहल की चमकदार सफेद संगमरमर की संरचना इसे दुनिया भर में मशहूर बनाती है. इस स्मारक के निर्माण में 28 प्रकार के कीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था. जिन्हें राजस्थान, बगदाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, मिस्र, रूस और ईरान जैसे स्थानों से आयात किया गया था. संगमरमर की चमक सूर्य की रोशनी से और भी निखर जाती है, जिससे ताजमहल चांदनी रातों में भी जगमगाता हुआ प्रतीत होता है.

बंद कमरों का रहस्य क्या है?

गौरतलब है कि ताजमहल के मुख्य मकबरे के नीचे 22 कमरे है जो अब तक अनदेखे है. इतिहासकारों का मानना ​​है कि इन कमरों को आखिरी बार 1934 में खोला गया था. ताजमहल की पहली मंजिल पर भी कई कमरे है. लेकिन उन तक जाने वाली दो सीढ़ियां शाहजहां के समय से बंद है. हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इन बंद कमरों की दो तस्वीरें जारी की है. ऐसी अटकलें हैं कि इन बंद कमरों में सोने-चांदी के छिपे हुए खजाने के साथ-साथ प्राचीन मुगलकालीन दस्तावेज और अन्य कलाकृतियां भी है. कई इतिहासकारों का यह भी दावा है कि इन बंद कमरों में असंख्य हिंदू मूर्तियां और शिलालेख है. इन्हें खोलने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई थी. लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इसे खारिज कर दिया है.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ताजमहल के निर्माण में लगभग 20,000 कारीगरों, जिनमें शिल्पकार, राजमिस्त्री, वास्तुकार, कढ़ाई करने वाले और कलाकार शामिल थे. इसका डिज़ाइन शाहजहां के दरबार के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने तैयार किया था.

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