भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी Tata Consultancy Services (TCS) ने इतिहास की सबसे बड़ी जॉब कटिंग की है. कंपनी की वर्कफोर्स अब 6 लाख के आंकड़े से नीचे चली गई है, जो पिछले दो सालों में पहली बार हुआ है. AI (Artificial Intelligence) के बढ़ते इस्तेमाल और अमेरिका-भारत ट्रेड टेंशन ने कंपनी को यह कदम उठाने पर मजबूर किया है. सितंबर 2025 खत्म होने वाली तिमाही में कंपनी ने 19,755 कर्मचारियों की छंटनी की है, जो तीन महीनों में सबसे बड़ा गिरावट वाला आंकड़ा है.
रिकॉर्ड लेवल पर जॉब कट और घटती वर्कफोर्स
कंपनी की ताज़ा अर्निंग रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 30 को खत्म हुई तिमाही में TCS ने 19,755 लोगों को नौकरी से निकाला. इसमें वॉलंटरी एग्ज़िट और लेऑफ्स दोनों शामिल हैं. यह पिछले क्वार्टर के मुकाबले 3.2% की कमी है. अब कंपनी के पास 6 लाख से भी कम कर्मचारी हैं, जो 2022 के बाद पहली बार हुआ है. कंपनी ने ₹11.35 अरब (Rs 1,135 करोड़) अलग रखे हैं जो सेवरेंस पैकेज और कॉस्ट को कवर करेंगे.
मिड-सीनियर लेवल पर सबसे ज्यादा असर
TCS के CHRO सुधीप कुनुमल ने बताया कि यह रीस्ट्रक्चरिंग ज़्यादातर मिड और सीनियर लेवल रोल्स पर की जा रही है, जहां “स्किल और कैपेबिलिटी मिसमैच” है. रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी मार्च 2026 तक अपने ग्लोबल वर्कफोर्स का करीब 2% कम करने की योजना पर काम कर रही है. इसका मकसद है कि कंपनी की स्ट्रेंथ अब AI, मशीन लर्निंग और ऑटोमेशन की दिशा में हो.
कमजोर आउटलुक से निवेशकों में चिंता
सिटी ग्रुप के विश्लेषकों ने कहा कि TCS की छंटनी दरअसल कमज़ोर बिज़नेस आउटलुक का संकेत है. ग्लोबल डिमांड घटने और टेक बजट्स सिकुड़ने से कंपनी का मुनाफा उम्मीद से कम रहा. यह दिखाता है कि भारत की सबसे स्थिर आईटी कंपनी भी अब डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की गर्मी महसूस कर रही है.
अमेरिकी नीतियों ने बढ़ाई मुश्किलें
इस छंटनी के पीछे अमेरिका-भारत के बीच बढ़ता ट्रेड टेंशन भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा फीस $100,000 (लगभग ₹88.7 लाख) करने और भारतीय इंपोर्ट्स पर टैक्स बढ़ाने की बात कही है. भले ही TCS पर इसका सीधा असर सीमित हो, लेकिन पॉलिसी अनिश्चितता और अमेरिकी क्लाइंट्स के घटते आईटी खर्च कंपनी के लिए बड़ी चुनौती हैं.
लोकल टैलेंट और AI स्किल्स की ओर फोकस
TCS अब अमेरिका में लोकल टैलेंट हायर कर रही है ताकि वीज़ा पर निर्भरता घटाई जा सके. कंपनी का कहना है कि उनका बिज़नेस मॉडल इमिग्रेशन चेंजेज के अनुसार तेजी से एडजस्ट कर सकता है. अब कंपनी AI, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और फ्यूचर-रेडी स्किल्स वाले युवाओं को हायर करने पर ध्यान दे रही है. इसका मतलब है कि भारत की आईटी इंडस्ट्री अब लार्ज वर्कफोर्स से हटकर स्मार्ट और स्किल-बेस्ड टीम्स की तरफ बढ़ रही है.
नई दिशा में बढ़ रहा है भारत का आईटी सेक्टर
ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने ग्लोबल टेक की परिभाषा बदल दी है. TCS का यह कदम इस बात का संकेत है कि भारत का आईटी सेक्टर अब मास एम्प्लॉयमेंट मॉडल से निकलकर हाई-टेक इनोवेशन मॉडल की ओर बढ़ रहा है. आने वाले समय में सिर्फ वही टैलेंट टिकेगा जो नई टेक्नोलॉजी के साथ खुद को अपग्रेड करता रहेगा.