अगर आप नई कार लेने की सोच रहे हैं, तो यह छोटी-सी जानकारी आपके हजारों रुपये बचा सकती है अक्सर हम कार खरीदते वक्त कीमत, फीचर्स और लोन पर इतना ध्यान देते हैं कि कुछ ज़रूरी कागज़ पीछे छूट जाते हैं. इन्हीं में से एक कागज़ ऐसा है, जिसे अगर आपने समय पर नहीं लिया, तो आपका दिया हुआ टैक्स रिफंड आसानी से वापस नहीं मिल पाता. बहुत से लोगों को यह बात पता ही नहीं होती, इसलिए हर साल करोड़ों रुपये बिना वजह अटके रह जाते हैं. अगर आप चाहें कि कार पर दिया गया पैसा पूरी तरह आपके पास वापस आए, तो यहां दी गई जानकारी आपका ज़रूर मदद करेगी.
आइये सबसे पहले जानते हैं यह कैसे काम करता है?
जब भी आप ₹10 लाख से ज़्यादा की कार खरीदते हैं, तो डीलर को क़ानूनन आपसे 1% TCS (स्रोत पर एकत्रित कर) वसूलना ज़रूरी होता है.
➡️ ₹20 लाख की कार = ₹20,000 TCS
➡️ ₹40 लाख की SUV = ₹40,000 TCS
यह पैसा आपके खाते से नहीं जाता, यह आपके पैन कार्ड से जुड़ा होता है और आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय वापस लिया जा सकता है.
एक ज़रूरी बात जो ज़्यादातर खरीदार भूल जाते हैं
अपने डीलर से फॉर्म 27D मांगें, यह आपका TCS प्रमाणपत्र है जो दर्शाता है कि आपसे कितना टैक्स वसूला गया. इस फॉर्म के बिना, आप आसानी से अपना रिफंड नहीं ले सकते. ज़्यादातर डीलर इसका ज़िक्र कभी नहीं करते, इसलिए आपको डिलीवरी के समय इसकी मांग करनी होगी.
अपना पैसा वापस कैसे पाएँ
1️⃣ खरीदारी के तुरंत बाद अपने डीलर से फॉर्म 27D मांगें.
2️⃣ अपना ITR भरते समय, अपना फॉर्म 26AS ज़रूर देखें, TCS पहले से ही दिखाई देगा.
3️⃣ राशि को रिफंड के रूप में क्लेम करें या इसे अपने देय कर में ऐड करें.
✅ ₹10 लाख से ज़्यादा की सभी कारों पर यह नियम लागू होता है. जैसे – हैचबैक, सेडान और SUV सभी के लिए
उदाहरण के लिए अगर आप ₹40 लाख की कार खरीदते हैं तो ₹40,000 TCS के रूप में एकत्रित होता है इसे अपने ITR में क्लेम करें इसके बाद ₹40,000 सीधे आपके खाते में रिफंड मिल जाएगा. अगली बार जब आप कार बुक करें, तो कागज़ों पर हस्ताक्षर करने से पहले अपना फॉर्म 27D मांग लें. क्योंकि यह आपका पैसा है, डीलर का नहीं.
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