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“बुमराह जरूरी नहीं! भारतीय टीम उनके बिना भी जीत सकती है” – पूर्व क्रिकेटर का बयान सुनकर हिल गया क्रिकेट जगत

Jaspreet Bumrah: भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट हाल फिलहाल में काफी चर्चा में रहा है। एक बार फिर से इंग्लैंड दौरे पर  बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट एक बड़ा चर्चा का विषय बन गया है। भारत के पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने इस मुद्दे पर बेबाक राय रखते हुए एक अहम संदेश दिया है।

Published by Shivani Singh

Jaspreet Bumrah: भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट हाल फिलहाल में काफी चर्चा में रहा है। एक बार फिर से इंग्लैंड दौरे पर  बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट एक बड़ा चर्चा का विषय बन गया है। टेस्ट सीरीज के निर्णायक मैच में उनकी गैरमौजूदगी ने कई पूर्व खिलाड़ियों और क्रिकेट विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। बुमराह ने इस दौरे पर तय योजना के अनुसार सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेले हैं जबकि पांचवां और निर्णायक मुकाबला उन्होंने वर्कलोड के चलते नहीं खेला। इस फैसले पर क्रिकेट जगत में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली, लेकिन भारत के पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर ने इस मुद्दे पर बेबाक राय रखते हुए एक अहम संदेश दिया है।

बुमराह को टीम के साथ एडजस्ट करना होगा

जी हाँ मांजरेकर ने इसपर स्पष्ट तौर पर कहा कि कोई भी खिलाड़ी इतना बड़ा नहीं होता कि टीम उसके बिना नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम मैनेजमेंट को भी यही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और खिलाड़ियों को उसी हिसाब से देखना चाहिए। उनके मुताबिक, “खेल हमेशा हमें सच का आइना दिखाता है। चाहे कोई भी खिलाड़ी हो, टीम उसके बिना भी जीत सकती है। यह बात दो टेस्ट मैचों ने साबित कर दी, जिसमें बुमराह नहीं खेले और भारत ने वह मैच जीत लिया।”

उन्होंने यह भी कहा कि विराट कोहली, रोहित शर्मा और जसप्रीत बुमराह जैसे बड़े नामों की गैरमौजूदगी में टीम इंडिया ने दमदार प्रदर्शन किया, जो इस बात को दर्शाता है कि कोई भी खिलाड़ी अविनाशी नहीं है। मांजरेकर के अनुसार, यह एक बड़ा सबक है सिर्फ चयनकर्ताओं के लिए बल्कि पूरे क्रिकेट ढांचे के लिए भी सबक है।

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मुख्य गेंदबाज बनने के लिए जरूरी है फिटनेस और निरंतरता

मांजरेकर ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि यदि कोई गेंदबाज लगातार दो टेस्ट मैच नहीं खेल सकता, तो वह टीम का मुख्य गेंदबाज नहीं बन सकता। उन्होंने साफ कहा, “अगर बुमराह हर मैच में उपलब्ध नहीं हो सकते, तो हमें उन्हें वैकल्पिक या सहायक गेंदबाज की तरह देखना होगा, न कि प्रमुख हथियार की तरह। टीम में वही खिलाड़ी प्राथमिकता के हकदार हैं जो शारीरिक और मानसिक रूप से खेलने के लिए पूरी तरह तैयार हों।”

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