Cricket Economics: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) T20 क्रिकेट लीग की दुनिया में एक प्रमुख खेल बन गया है. भारत के सबसे लोकप्रिय क्रिकेट आयोजन के रूप में, IPL हर साल वित्तीय वर्ष के कैलेंडर के अनुरूप बहुत पैसा कमाता है. यह क्रिकेट लीग न केवल दुनिया भर के फैंस को प्रसन्न करती है, बल्कि टीमों, खिलाड़ियों और संबंधित व्यवसायों के लिए बेहतरीन आर्थिक अवसर भी खोलती है.
कुछ अहम बातें
- आईपीएल का मूल्यांकन दिसंबर 2022 में ₹90,038 करोड़ ($10.9 बिलियन) तक बढ़ गया, जिससे यह एक ‘डेकाकॉर्न’ बन गया.
- प्रमुख राजस्व योगदानकर्ताओं में मीडिया अधिकार, स्पॉंसरशिप, टिकट बिक्री, मर्चेंडाइजिंग और लाइसेंसिंग सौदे शामिल हैं.
- CSK और RCB जैसी घोषित टीमों के लिए स्पॉंसरशिप आय FY23 में टीम रेवेन्यू का 17% है.
- FY23 में आईपीएल टीम का औसत रेवेन्यू ₹307 करोड़ रहा, जो वित्त वर्ष 22 से 23% की वृद्धि दर्शाता है.
- रिलायंस द्वारा 2023-2027 तक ₹23,800 करोड़ में बेचे गए मीडिया अधिकार फ्रैंचाइज़ी रेवेन्यू की भविष्य की संभावनाओं को बढ़ावा देते हैं.
आईपीएल टीमें कई तरीकों से पैसा कमाती हैं, जिससे वे लाभदायक व्यवसाय बन जाते हैं. उनकी अधिकांश आय स्पॉंसर्स और ब्रॉडकास्ट डील्स से आती है. वे मैचों के दौरान टिकटों की बिक्री और स्टेडियम के संचालन से भी अच्छी कमाई करते हैं.
इसके अलावा, टीम-ब्रांडेड उत्पाद बेचने से उनकी कमाई बढ़ती है क्योंकि फैंस इन चीज़ों को पसंद करते हैं. खिलाड़ियों के वेतन और मार्केटिंग में निवेश करके, फ्रैंचाइज़ी आय के मजबूत स्रोत बनाती हैं. इससे उन्हें हर सीज़न में आर्थिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलती है.
टिकट बिक्री और स्टेडियम रेवेन्यू
टिकट बिक्री आईपीएल टीमों के लिए पैसा कमाने का एक अहम तरीका है. इससे हर सीज़न के लिए कुल रेवेन्यू में बढ़त होती है. खेलों में बड़ी संख्या में फैंस के आने से, टीमें मैच के दिन टिकटों की बिक्री से लाखों कमाती हैं. मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स जैसी टीमें भारी भीड़ खींचती हैं, जिससे उन्हें स्टेडियम के रेवेन्यू से बड़ी रकम इकट्ठा करने में मदद मिलती है.
स्टेडियम का रेवेन्यू केवल टिकटों की बिक्री से नहीं आता है. इनमें मेहमान नवाज़ी और भोजन की बिक्री से होने वाली आय भी शामिल है. VIP टिकट और विशेष बैठने की व्यवस्था भी फ़्रैंचाइज़ी की कमाई बढ़ाने में मदद करती है. यह स्थानीय राजस्व लीग को अपने केंद्रीय कोष से मिलने वाली राशि में जुड़ता है.
मर्चेंडाइज़िंग और लाइसेंसिंग सौदे
आईपीएल के कारोबार में मर्चेंडाइज़िंग बहुत महत्वपूर्ण है. यह टीमों की ब्रांड वैल्यू बढ़ाने में मदद करता है. टीमें अपने लोगो वाली जर्सी, कैप, मग और दूसरे सामान बेचकर पैसा कमाती हैं.
लाइसेंसिंग समझौते टीमों को उन अन्य ब्रांडों के साथ काम करके और भी ज़्यादा कमाई करने में मदद करते हैं जो अपने नाम को आईपीएल की टॉप लीग से जोड़ना चाहते हैं. ये समझौते अक्सर उन्हें दुनिया भर में टीम से जुड़े सामान बेचने का अधिकार देते हैं, जिससे टीमें ज़्यादा प्रशंसकों तक पहुंच पाती हैं. उदाहरण के लिए, चेन्नई सुपर किंग्स अपने मज़बूत ब्रांड का इस्तेमाल अपने सामान का अच्छा प्रचार करने के लिए करती है.
स्पॉंसरशिप और विज्ञापन
IPL फ्रैंचाइज़ी की कमाई के लिए स्पॉंसरशिप और विज्ञापन आवश्यक हैं. टाटा के ₹670 करोड़ के निवेश जैसे टाइटल स्पॉंसरशिप सौदे लीग में लगातार धन लाते हैं. टीम से जुड़े स्पॉंसर भी काफी रेवेन्यू का योगदान करते हैं, जिससे फ्रैंचाइज़ी अपने स्टार खिलाड़ियों के बारे में रोमांचक कहानियां बना सकती हैं.
टाइटल और टीम प्रायोजक
टाइटल स्पॉंसर्स दर्शाते हैं कि IPL का रेवेन्यू मॉडल कितना बड़ा है. टाटा का टाइटल प्रायोजन वीवो के समय को फॉलो करता है और लीग में काफी धन लाता है. इससे टीमों को अच्छा समर्थन मिलता है.
पेटीएम और कोका-कोला जैसे टीम स्पॉंसर्स फ्रैंचाइज़ी के साथ मिलकर काम करते हैं. ये साझेदारियां टीमों और कंपनियों, दोनों को ज़्यादा ध्यान आकर्षित करने में मदद करती हैं. इन बेहतरीन सहयोगों की बदौलत चेन्नई सुपर किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को प्रायोजन से होने वाली आय में लगातार बढ़त देखने को मिल रही है.