Home > धर्म > Sawan shivratri 2025: क्यों मनाई जाती है सावन शिवरात्रि? यहां जाने सावन की शिवरात्रि का महत्व

Sawan shivratri 2025: क्यों मनाई जाती है सावन शिवरात्रि? यहां जाने सावन की शिवरात्रि का महत्व

Why Is Sawan Shivratri Celebrated: आज यानी 23 जुलाई 2025 के दिन सावन शिवरात्रि है और हिंदू धर्म में सावन के महीने में पड़ने वाली  सावन शिवरात्रि को बेहद खास माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते है सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, अगर नहीं तो आज हम इस लेख में आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं।

By: chhaya sharma | Published: July 23, 2025 12:08:15 PM IST



Why Is Sawan Shivratri Celebrated: आज यानी 23 जुलाई 2025 के दिन सावन शिवरात्रि है और हिंदू धर्म में सावन के महीने में पड़ने वाली  सावन शिवरात्रि को बेहद खास माना जाता है, क्योंकि सावन का महीना शिव जी के बेहद प्रिय होता है। ऐसे में जो भी व्यक्ति सावन के महीने में भगवान शंकर की पूरी श्रद्धा से पूजा करता है, उसके पाप कम होते है, जीवन में तरक्की के अवसर मिलते है और दांपत्य जीवन सुखमय होता है। लेकिन क्या आप जानते है सावन शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है, अगर नहीं तो आज हम इस लेख में आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं। 

 क्यों मनाई जाती है सावन शिवरात्रि (Why Is Sawan Shivratri Celebrated)

श्रावण माह के कृष्ट पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पड़ने वाली शिवरात्रि को श्रावण या सावन शिवरात्रि कहा जाता है। माना जाता है कि सावन का महीना भगवान शंकर को बेहद प्रिय है, इसलिए इस पावन और पवित्र महीने में भगवान शिव की पूरे विधी विधान से पूजा की जाती है। सावन के महीने में सोमवार व्रत रखने का भी बेहद महत्व है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव जी की पूजा करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में जो भी व्यक्ती सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखता है या शिवरात्रि का व्रत रखता है, उसके जीवन में सारे दूख-संकट दूर हो जाते है और भोलेनाथ की कृप उस व्यक्ति पर रहती है। सावन शिवरात्रि मनाए जाने के पिछे कई तरह की पौराणिक कथा जैसे कहा जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को दौबारा अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, वहीं स्कंद पुराण की मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने अपने भक्त सनत्कुमार को एक बार बताया था की सावन का महीने उन्हें बेहद पसंद है, इसलिए इस महीने में शिवरात्रि मनाई जाती है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि भगवान शंकर के परम भक्त मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डे ने लंबी उम्र के लिए श्रावण मास में शिव जी की घोर तपस्या की था, जिसके बाद शंकर जी उनसे बेहद खुश हुए थे। इसके अलावा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक कथा समुद्र मंथन की भी है, जो कांवड़ यात्रा से भी जुड़ी है। 

सावन में कांवड़ यात्रा क्यों करते हैं। (Why We Do Kanwar Yatra In Sawan Month)

दरअसल, एक बार समुद्र मंथन किया गया और उसमें निकले 14 रत्नों में से पहला रत्न हलाहल विष था, जिसे देख संसार में हाहाकार मचा गया और सभीदेवी देवता और राक्षस सोचने लगे की यह विश कौन पियेगा, तब भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से निकले विष को  पिया और अपने कंठ में रोक लिया, जिसके बाद उसका शरीर और गला नीला पड़ने लगा, जिसके बाद सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए शिव जी पर जलाभिषेक किया और औषधि रूप में बेलपत्र, भांग-धतूरा आदि अर्पित किया, तब से ही सावन के महीने में भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है और इसी परंपरा को निभाते हुए सभी शिव भक्त सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करते है, जल लाते है और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। 

सावन शिवरात्रि का महत्व (Sawan Shivratri Significance)

हिंदू धर्म में सावन शिवरात्रि का महत्व है, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का महत्व है। सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग का जल अभिषेक करने और दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शहद आदि चदाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। सावन शिवरात्रि पर व्रत करने और जागरण का भी बेहद महत्व है, माना जाता है, ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों के सारे दूख हर लेते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में बसे विभिन्न ग्रह दोषों से मुक्ती मिलती है। इसके अलावा सावन शिवरात्रि का व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखी होता है और प्रेम जीवन भी अच्छा होता है।  

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Advertisement