Utpanna Ekadashi Vrat Paran: एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. आज मार्गशीर्ष माह की पहली एकादशी है जिसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु ने मुरमुरा नामक राक्षस का वध किया था जिस खुशी में उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. साथ ही इस दिन देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी. यह उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई थी. इसी वजह से इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस दिन व्रत करने से रोग, दुख और नकारात्मकता है नाश होता है.
एकादशी का व्रत करना जितना महत्वपूर्ण होता है उतना ही इस व्रत का पारण भी महत्वपूर्ण है. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानि द्वादशी तिथि पर होता है. एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहा जाता है. एकादशी व्रत का पारण सूर्योंदय के बाद किया जाता है.
इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए की एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए. हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है.
उत्पन्ना एकादशी 2025 व्रत पाण (Utpanna Ekadashi 2025 Vrat Paran)
- 16 नवंबर को एकदाशी तिथि सुबह 02:37 मिनट पर समाप्त होगी.
- 16 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी पारण समय का रहेगा दोपहर 01:10 मिनट से लेकर दोपहर 03:18 रहेगा.
- पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय 16 नवंबर को सुबह- 09:09 तक रहेगा.
उत्पन्ना एकादशी 2025 व्रत पारण विधि (Vrat Paran Vidhi)
- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन, सुबह जल्दी स्नान करके, भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद किया जाता है.
- पारण से पहले मुख में तुलसी का पत्ता रखें और तुलसी के पत्ते को चबाएं नहीं, बल्कि निगल लें.
- पारण के बाद सात्विक भोजन करना चाहिए, जिसमें फल, दही, दूध और सूखे मेवे शामिल हो सकते हैं.
- व्रत का पारण आप पंचामृत से कर सकते हैं.
- एकादशी पारण द्वादशी के दिन किया जाता है. इस दिन चावल का सेवन जरूर करें.
- व्रत पारण के दिन जरूरतमंदों को दान करें.
- इस दिन ब्राह्मण को दक्षिणा जरूर दें.
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