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Utpanna Ekadashi 2025: एकादशी व्रत की शुरुआत करें इस एकादशी से, विष्णु कृपा से मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान

Utpanna Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इस व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

By: Tavishi Kalra | Published: November 11, 2025 10:29:28 AM IST



Utpanna Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat) का विशेष महत्व बताया गया है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (Lord Vishnu) जी के लिए रखा जाता है. साल में कुल 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं. मार्गशीर्ष माह (Margashisha Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. 

साल 2025 में उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. उत्पन्ना एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानि 16 नवंबर 2025, शनिवार के दिन किया जाएगा.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व (Utpanna Ekadashi Importance)

अगर कोई एकादशी के व्रत की शुरुआत करना चाहता है तो उसके लिए उत्पन्ना एकादशी सबसे उपयुक्त मानी गई है. उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी के व्रत को शुरू किया जा सकता है.

अगर आप भी पहली बार एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं या फिर साल में पड़ने वाले 24 एकादशी के व्रत का संकल्प लेकर व्रत की शुरूआत करने वाले हैं उसके लिए उत्पन्ना एकादशी को सबसे उत्तम माना गया है. मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली इस एकादशी को सभी एकादशी के व्रत में सर्वश्रेष्ठ माना गया है.

उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है. साथ ही मनुष्य को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. यह एकादशी देवी के अवतरण का प्रतीक है, जो भगवान विष्णु की रक्षा और धर्म की रक्षा के लिए उत्पन्न हुई दिव्य शक्ति हैं.

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उत्पन्ना एकादशी 2025 तिथि (Utpanna Ekadashi 2025 Tithi)

  • एकादशी तिथि की शुरुआत 15 नवंबर 2025, शुक्रवार को रात 12:49 मिनट पर रहेगी.
  • एकादशी तिथि समाप्त 16 नवंबर 2025, शनिवार को रात 02:37 पर होगी.

एकादशी व्रत पारण (Ekadashi Vrat Paran)

एकादीश व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि पर किया जाता है. इस दिन पहले ब्राह्मण को पहले भोजन कराना चाहिए.

जो ऐसा करने में असमर्थ हों, तो ब्राह्मण भोजन के कच्चा सामान (सीधा) मन्दिर में दें. साथ ही हरिवासर में भी पारण करना निषेध है.

एकादशी के व्रत करने वाले मनुष्य यदि सब नियमों का पालन कर सकें, तो वह व्रत उन्हें पूर्ण फलदायी सिद्ध होगा.

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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