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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मार्गदर्शन देने वाले भगवद् गीता के 10 उपदेश

Shri Krishna Updesh Bhagavad Gita: महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता के माध्यम से कई उपदेश दिए, जिनमें मृत्यु, भय, जन्म, मरण, परिवार,मुक्ति, वर्तमान का महत्व शामिल है. श्री कृष्ण ने अर्जुन को उसके क्षत्रिय धर्म के अनुसार युद्ध करने के लिए प्रेरित किया.

By: Tavishi Kalra | Published: November 22, 2025 3:39:50 PM IST



Shri Krishna Updesh Bhagavad Gita: भगवान कृष्ण की भगवद्गीता में अर्जुन को कई उपदेश दिए, यह उपदेश जीवन के हर कदम पर मनुष्य को याद रखने चाहिए. आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में हम कई बार उन बातों को भूल जाते हैं जो हमारे धर्म से जुड़ी है. जानें भगवान श्री कृष्ण द्वारा कही गईं उन 10 बातों को जो आपका जीवन बदल सकती हैं और आपको आंतरिक शक्ति के साथ-साथ सफलता की ओर लेकर जा सकती हैं.

कर्म करो, फल की चिंता मत करें

गीता में भगवान श्री कृष्ण के यह कहा है कि हमें केवल अपने कर्म करने चाहिए, अपने काम पर अपना पूरा ध्यान देना चाहिए, सच्ची ईमानदारी के साथ अपने काम को करने करें और फल या नतीजे की चिंता ना करें. ऐसा करने से सब अच्छा होता है. भगवान पर विश्वास दुनिया का सबसे बड़ा विश्वास है. अपने काम को पूरी ईमानदारी से करें और नतीजों की चिंता न करें. सफलता अपने आप मिलेगी.

मन को नियंत्रित करें

गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि अपने मन को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है. जिसने जीवन में अपने मन को अपने काबू में रख लिया उसे जीवन का हर सुख प्राप्त हो सकता है. मन आपका सबसे अच्छा और सबसे बुरा दोस्त हो सकता है. इसे नियंत्रित करने के लिए अभ्यास और वैराग्य अपनाएं.

क्रोध से बचें

गीता में यह भी कहा गया है कि अपने आप को क्रोध और गुस्से से दूर रखना चाहिए. क्रोध से भ्रम और तर्क का नाश होता है, जिससे मनुष्य का पतन होता है. इससे बचने के लिए क्रोध को नियंत्रित करें. क्रोध विनाश का कारक है. क्रोध के समय व्यक्ति को इस बात का अहसास नहीं होता कि वह क्या-क्या कह रहा है और कर रहा है.

इच्छाओं को सीमित करें

गीता में इस बात को भी श्री कृष्ण ने बताया है कि अपने इच्छाओं को सीमित रखें. वासना, क्रोध और लालच नरक के तीन द्वार हैं. इन पर नियंत्रण पाना जरूरी है. जिस मनुष्य ने इन तीनों चीजों पर काबू पा लिया वह जीवन के भव सागर को पार कर जाएगा.

समान भाव रखें

गीता में यह भी कहा गया है कि सभी प्राणियों के प्रति हमें समान भाव रखना चाहिए. किसी से भेदभाव ना करें, किसी से ऊंच-नीच ना करें. फिर चाह वह विद्वान हों या साधारण, सभी को एक समान दृष्टि से देखें.

सदाचार को अपनाएं

गीता में सदाचार को अपनाने पर जोर दिया गया है. सदाचार ही मनुष्य की असली दौलत है. इसे कभी नहीं खोना चाहिए. अपने सदाचार का भाव सबके लिए रखना चाहिए.सदाचार ही सच्चा धन है. इस धन को सदैव संभालकर रखना चाहिए.

अपने धर्म का पालन करें

गीता में अपने धर्म का पालन करना और उसकी जिम्मेदारियों को निभाना जरूरी माना या है. अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निष्ठापूर्वक पालन करो. हमें अपने धर्म की जिम्मेदारियों से दूर नहीं भागना चाहिए.

सुख-दुख को समान मानें

गीता में इस बात पर भी जोर दिया गया है जहां सुख मिलेगा वहां दुख भी मिल स कता है. इसीलिए हमें कभी भी इन सब चीजों से दूर नहीं भागना चाहिए. सफलता और असफलता, लाभ और हानि को समान भाव से देखें. आज अच्छा है तो कल बुरा भी हो सकता है. 

अहंकार छोड़ें

गीता में अहंकार को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है. ‘मैं’ और ‘मेरा’ की भावना से मुक्त होकर शांति प्राप्त करें.  अहंकार मनुष्य को ले डुबता है. इसीलिए अहंकार की भावना का त्याग करें और मैं-मैं और मेरा की भावना से मुक्त होकर अपने जीवन को व्यतीत करें.

सत्य के मार्ग पर चलें

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने सत्य का मार्ग को जीवन का सबसे सही मार्ग बताया है. सत्य के मार्ग पर चलें, चाहे आपका हित हो या ना हो, इस मार्ग की डोर को कभी ना छोड़ें. सत्य बोलने वाला मनुष्य जीवन में कभी हारता नहीं है और सत्य की राह पर चलने से ही जीवन में सफलता मिलती है. 

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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