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क्या है श्री कृष्ण का मूलांक ? जन्म से आखिरी समय तक उनके जीवन में रहा इस नंबर का प्रभाव,जानें क्यों है इतना खास कनेक्शन?

Krishna Janmashtami 2025: श्री कृष्ण के जन्म से लेकर उनके अंतिम दिनों तक एक विशेष अंक उनके साथ साये की तरह रहा। इस विशेष अंक से उनका जीवन भर का नाता रहा। आइए जानते हैं वह अंक क्या था? हम जानेंगे कि कैसे यह अंक उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गया।

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Krishna Janmashtami 2025: श्री कृष्ण से जुड़ी हर चीज़ उनके भक्तों को प्रिय है। जन्माष्टमी पर उनकी कथा, जन्म, इतिहास, लीलाएँ, प्रेम, महाभारत का खूब ज़िक्र होता है। इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त को है। हर कोई अपने-अपने अंदाज़ में लड्डू गोपाल को सजाता है और उनकी पूजा करता है। जहाँ भक्त उनकी हर बात से प्रभावित होते हैं, वहीं श्री कृष्ण का जीवन एक अंक से बेहद प्रभावित था। जानिए श्री कृष्ण का इस अंक से इतना ख़ास रिश्ता क्यों था?

श्री कृष्ण का इस अंक से है ख़ास रिश्ता

आपको जानकर हैरानी होगी कि श्री कृष्ण के जीवन में सिर्फ़ एक ही अंक ऐसा था जिसके साथ उनका बहुत गहरा रिश्ता था। वह अंक था 8। अंक 8 का सीधा संबंध शनि से है। अब देखा जाए तो श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इसके साथ ही, श्रीकृष्ण के जीवन में अंक 8 सबसे खास अंक बन गया। जीवन के हर उतार-चढ़ाव में यह जुड़ाव देखने को मिला।

श्रीकृष्ण और अंक 8 के बीच पहला संबंध यह है कि श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवाँ अवतार कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण उनके पूर्ण अवतार हैं। दूसरा संबंध जो हम आपको ऊपर बता चुके हैं, वह यह है कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। ऐसे में कृष्ण जी का मूल अंक 8 होगा। तीसरा संबंध यह है कि शास्त्रों के अनुसार, श्रीकृष्ण की कुल आठ रानियाँ थीं। उनके नाम सत्यभामा, कालिंदी, सत्या, भद्रा, जाम्बवती, रुक्मिणी, लक्ष्मणा और मित्रवृंदा थे।

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श्रीकृष्ण और अंक 8 के बीच चौथा संबंध इस बात से जुड़ा है कि श्रीकृष्ण का जन्म देवकी और वसुदेव की संतान के रूप में हुआ था। वे उनकी आठवीं संतान थे। कंस से बचाने के लिए वसुदेव ने उन्हें नंद और यशोदा को सौंप दिया था। आपको बता दें कि श्री कृष्ण और अंक 8 के बीच और भी कई संबंध हैं। उनका जन्म दिन के आठवें पहर में मध्यरात्रि में हुआ था। यह संबंध दिव्य है। श्री कृष्ण अष्टांग योग में भी निपुण थे। भगवान विष्णु के अवतार होने के कारण उन्हें कुल आठ सिद्धियाँ भी प्राप्त थीं।

श्री कृष्ण की मृत्यु और अंक 8 के बीच का संबंध

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्री कृष्ण ने 125 वर्ष की आयु में प्राण त्याग दिए थे। यदि उनकी आयु की गणना भी की जाए तो वह 8 वर्ष ही आएगी। इस प्रकार श्री कृष्ण के जन्म से लेकर उनके अंतिम दिन तक अंक 8 किसी न किसी रूप में उनके साथ मौजूद रहा। ऐसे में यदि जन्माष्टमी के दिन अंक 8 वाले लोग श्री कृष्ण की पूजा करते हैं, तो उन्हें बहुत लाभ मिलता है। साथ ही, उनकी पूजा करने से शनि के दोष भी दूर होने लगते हैं।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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