Shardiya Navratri Maa Skandmata: नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है.वे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण स्कंदमाता कहलाती हैं.यह दिन मातृत्व, करुणा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है.भक्त विश्वास करते हैं कि मां स्कंदमाता की कृपा से जीवन में सुख-शांति, संतान सुख और वैभव की प्राप्ति होती है.नवरात्रि के इस दिन मां की आराधना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां स्कंदमाता श्वेत कमल पर विराजमान होती हैं, इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है.इनके एक हाथ में कमल का पुष्प, दूसरे में बाल रूप में भगवान स्कंद को धारण किए हुए हैं. अन्य दो हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा सुशोभित रहती है.देवी का मुखमंडल शांत, तेजस्वी और करुणा से पूर्ण होता है.मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है, जो शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है.उनके स्वरूप में मातृत्व की ममता और देवी शक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो भक्तों को निडर और सशक्त बनने की प्रेरणा देता है.
शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
नवरात्रि के पांचवे दिन पूजा का शुभ समय ब्रह्ममुहूर्त से आरंभ होता है. सूर्योदय के बाद से लेकर प्रातःकाल का समय विशेष शुभ माना जाता है.यदि कोई भक्त पूरे विधि-विधान से मां स्कंदमाता की आराधना करना चाहता है तो सुबह 6 बजे से 8 बजे तक का समय श्रेष्ठ रहता है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त (लगभग दोपहर 12 बजे से 12:45 बजे तक) भी पूजा के लिए उत्तम माना जाता है. इस समय देवी का ध्यान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.
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पूजा विधि (Puja Vidhi)
सबसे पहले घर के मंदिर या पूजास्थल को साफ करके कलश स्थापना करें.
मां स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र को पूजास्थल पर स्थापित करें.
जल, अक्षत, रोली, चंदन और पुष्प अर्पित करें.
देवी को केले का भोग विशेष रूप से चढ़ाया जाता है, क्योंकि यह उनका प्रिय फल माना जाता है.
धूप और दीप प्रज्वलित करें और देवी के मंत्रों का जाप करें.मां स्कंदमाता का बीज मंत्र है – ॐ देवी स्कंदमातायै नमः.
अंत में आरती करें और परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें.
भक्तों का विश्वास है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से बच्चों की उन्नति, परिवार की एकजुटता और जीवन में शांति मिलती है.
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प्रिय रंग (Favourite Colour)
नवरात्रि के पांचवें दिन का विशेष रंग पीला (Yellow) माना जाता है.पीला रंग ऊर्जा, सकारात्मकता और ज्ञान का प्रतीक है.इस दिन भक्त पीले वस्त्र धारण करके देवी की पूजा करते हैं, जिससे मन में उत्साह और आत्मविश्वास का संचार होता है. पीला रंग सूर्य की तरह तेजस्विता का द्योतक है और जीवन में नई रोशनी लाने वाला माना जाता है.

