Navratri 2025 : इस बार के नवरात्र में है कुछ खास, जानें कब से होगी नवरात्रि की शुरुआत और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri kab hai: वर्ष में चार नवरात्र होते हैं जिनमें दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्र कहे जाते हैं. पहला गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और दूसरा माघ मास में होता है. जहां तक प्रत्यक्ष नवरात्रि का विषय है, इनमें पहला चैत्र नवरात्र कहलाता है जिस दिन से भारतीय नववर्ष का प्रारंभ होता है जबकि दूसरा नवरात्र शारदीय नवरात्र कहा जाता है, इसका महत्व इतना अधिक माना गया है कि कुछ लोग इसे महानवरात्र भी कहते हैं. शरद ऋतु में होने के कारण ही इसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है.

Shardiya Navratri 2025: वर्ष में चार नवरात्र होते हैं जिनमें दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्र कहे जाते हैं. पहला गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और दूसरा माघ मास में होता है. जहां तक प्रत्यक्ष नवरात्रि का विषय है, इनमें पहला चैत्र नवरात्र कहलाता है जिस दिन से भारतीय नववर्ष का प्रारंभ होता है जबकि दूसरा नवरात्र शारदीय नवरात्र कहा जाता है, इसका महत्व इतना अधिक माना गया है कि कुछ लोग इसे महानवरात्र भी कहते हैं. शरद ऋतु में होने के कारण ही इसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है. यूं तो नवरात्रि का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है किंतु बंगाली समाज में इसका महत्व कुछ अधिक ही है जब विशाल पंडाल सजा कर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं. 

आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर नौ दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान को शारदीय नवरात्र कहा जाता है. देखा जाता है कि कई बार नवरात्र नौ दिनों का न होकर आठ दिनों का ही होता है क्योंकि उन परिस्थितियों में किसी एक तिथि की हानि होती है लेकिन इस बार की स्थिति कुछ अलग है. इस वर्ष एक बात विशेष है कि दुर्गा पूजा उत्सव नौ दिन न चल कर 10 दिनों तक चलने वाला है. शारदीय नवरात्र का प्रारंभ 22 सितंबर सोमवार से शुरू होगा और पूर्णता पहली अक्टूबर को होगी. दरअसल इस बार तृतीया तिथि दो दिन होगी यानी 24 सितंबर बुधवार और 25 सितंबर गुरुवार. 

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कलश स्थापना का मुहूर्त 

नवरात्र में कलश (घट) स्थापना का अपना महत्व होता है. इसे किसी शुभ मुहूर्त में किया जाए अभीष्ट फल की प्राप्ति के साथ ही परिवार में सब कुछ शुभ-शुभ होने लगता है. निर्णय सागर पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 22 सितंबर को है. घट स्थापना के लिए अमृत वेला का मुहूर्त प्रातः 6ः30 बजे से लेकर आठ बजे तक है, सबसे अच्छा मुहूर्त होने के कारण ही इसे दिव्य वेला भी कहा जाता है. दिवा वेला प्रातः 9ः30 से 11ः00 और शुभ दिवा वेला 12ः06 से 12ः55 तक रहेगी. इन्हीं मुहूर्तों में कलश की  स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा. 

Pandit Shashishekhar Tripathi

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