Amarnath Shivling: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे खास माना जाता है। इस पूरे महीने में लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जल चढ़ाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अमरनाथ की गुफा में हर साल सावन के आसपास ही बर्फ का शिवलिंग कैसे बनता है?
अमरनाथ गुफा का चमत्कारी शिवलिंग
जम्मू-कश्मीर की अमरनाथ गुफा करीब 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हर साल यहां प्राकृतिक रूप से बनने वाला बर्फ का शिवलिंग लाखों लोगों को आकर्षित करता है। ये शिवलिंग खुद-ब-खुद गुफा के अंदर ठंडी हवाओं और टपकते पानी से बनता है। खास बात ये है कि ये शिवलिंग सिर्फ सावन में ही पूरी तरह आकार लेता है।
क्यों सिर्फ सावन में बनता है शिवलिंग?
इसका एक बड़ा कारण मौसम है। सावन में अमरनाथ की गुफा के आसपास का तापमान इतना कम होता है कि वहां लगातार बर्फ जमा होती है। गुफा की छत से जो पानी टपकता है, वो धीरे-धीरे जमकर शिवलिंग का आकार ले लेता है। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक “फ्रॉस्ट फ्रीजिंग” (Frost Freezing) कहते हैं। जैसे-जैसे तापमान नीचे जाता है, वैसे-वैसे शिवलिंग बड़ा होता जाता है।
धार्मिक मान्यता क्या कहती है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए इस गुफा को चुना था। शिव जी ने यहां अपने सभी आभूषण और प्रतीकों को त्यागकर इस पवित्र स्थान पर ध्यान लगाया और पार्वती जी को अमरता का रहस्य बताया। इसी वजह से इसे “अमरनाथ” कहा जाता है और यहां बनने वाला बर्फ का शिवलिंग शिव की मौजूदगी का प्रतीक माना जाता है।
श्रद्धालु क्यों मानते हैं इसे चमत्कार?
हर साल सावन में हजारों-लाखों श्रद्धालु कठिन चढ़ाई पार कर अमरनाथ पहुंचते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि बर्फ का यह शिवलिंग साक्षात शिव का रूप है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस शिवलिंग के दर्शन करता है, उसे शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि ये शिवलिंग खुद शिव जी की इच्छा से बनता और मिटता है।
क्या होता है शिवलिंग का आकार बदलना?
एक और रहस्य यह है कि ये शिवलिंग हर साल अलग आकार का बनता है और सावन खत्म होते-होते धीरे-धीरे पिघलने लगता है। कुछ सालों में यह बहुत ऊंचा बनता है, तो कभी छोटा। इससे कई बार लोगों में यह मान्यता भी बन जाती है कि इससे भविष्य में अच्छा या बुरा होने का संकेत मिलता है।
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