Sankasthi Chaturthi 2025 Date: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आने वाली गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है. यह व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है, लेकिन जब ये मंगलवार या शनिवार को पड़ता है, तो इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस साल ये त्योहार कल यानी की 08 नवंबर को रखा जाएगा. इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि क्या है?
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें.
- भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करे. उन्हें रोली, अक्षत, दूर्वा, लाल फूल और जनेऊ अर्पित करें.
- गणपति जी को मोदक बहुत प्रिय है वो चढ़ाएं और तिल के लड्डू का भू भोग लगा सकते हैं
- धूप-दीप जलाकर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें और गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की कथा पढ़ें.
- शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को जल, दूध, चंदन और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें.
- चंद्र दर्शन और अर्घ्य के बाद सात्विक भोजन या फलाहार ग्रहण करके व्रत का पारण करें.ट
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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के ‘गणाधिप’ स्वरूप की पूजा की जाती है. जो गणों के अधिपति हैं. इस दिन व्रत करने से आपके जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस दिन माताएं अपने बच्चे की लंबी उम्र के लिए और घर पर सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं.