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Rohini Vrat Katha: पति की लंबी उम्र और सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है रोहिणी व्रत? जानें इससे जुड़ी कथा

Rohini Vrat Katha: रोहिणी मुख्य रूप से जैन धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है. ये व्रत महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु, परिवार में सुख-शांति के लिए रखा जाता है. तो आइए इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं.

By: Shivi Bajpai | Published: November 7, 2025 9:54:49 AM IST



Rohini Vrat 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र के दिन ये व्रत रखा जाता है. इसे जैन धर्म में स्त्रियां रखती हैं. साल 2025 में रोहिणी व्रत को 7 नवंबर, शुक्रवार के दिन रखा जा रहा है. इस व्रत को रखने से पति की आयु लंबी होती है, परिवार में सुख-समृद्धि मिलती है और जीवन में शांति बनी रहती है. इस व्रत के दिन पौराणिक कथा सुनना शुभ माना जाता है.

रोहिणी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा 

रोहिणी व्रत से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित है. जिनमें से एक कथा कर्म के सिद्धांत और व्रत के महत्व को दर्शाती है. प्राचीन काल में चंपापुरी नामक नगर में राजा माधवा और रानी लक्ष्मीपति रहते थे. उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम रोहिणी था. एक बार राजा ने अपनी पुत्री के भविष्य के बारे में एक ज्योतिष से जानकारी ली. तो उन्होंने बताया कि रोहिणी का विवाह हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक के साथ होगा. साथ ही उन्होंने ये भी बोला कि वो बहुत शांत स्वभाव के हैं. 

एक समय की बात है, उसी नगर में धनमित्र नामक एक राजा था. उसकी एक पुत्री थी जिसका नाम दुर्गंधा था, जिसके शरीर से अत्यंत दुर्गंध आती थी. राजा धनमित्र ने बहुत धन देकर अपने मित्र वस्तुपाल के पुत्र से दुर्गंधा का विवाह करवाया.

एक बार दुर्गंधा ने रानी सिंधुमती के कहने पर गलती से एक मुनिराज को कड़वी तुम्बी का भोजन खिला दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. इस पाप के कारण रानी सिंधुमती को कोढ़ हो गया और मृत्यु के बाद उन्हें नरक की प्राप्ति हुई. रानी सिंधुमती ही अगले जन्म में दुर्गंधा बनीं, और फिर कई जन्मों के बाद वह राजा माधवा की पुत्री रोहिणी के रूप में जन्मीं.

एक साधु के कहने पर, रोहिणी ने अपने पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति के लिए पूर्ण श्रद्धा से रोहिणी व्रत का पालन करना शुरू किया. उन्होंने हर महीने रोहिणी नक्षत्र के दिन व्रत रखा और भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा की. रोहिणी व्रत के प्रभाव से उनके सभी कष्ट दूर हो गए. उनका विवाह राजकुमार अशोक से हुआ और वे सुखी जीवन जीने लगे. आखिर में, व्रत के प्रभाव से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई और फिर मोक्ष को प्राप्त किया.

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तभी से ये मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से रोहिणी व्रत करता है, उसे सभी प्रकार के दुखों, दरिद्रता और कर्मों के बंधनों से मुक्ति मिलती है. महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से उनके पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए फलदायी होता है.

Rohini Vrat 2025: रोहिणी व्रत आज, जानें क्यों किया जाता है ये व्रत और इसका महत्व

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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