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Puri Jagannath Temple: क्यों नहीं खत्म होता जगन्नाथ पुरी मंदिर का प्रसाद, जानिए इसके पीछे की आध्यात्मिक शक्ति

Puri Jagannath Temple: ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी मंदिर रसोई है, रोजाना यहां लाखों भक्तों के लिए महाप्रसाद तैयार किया जाता है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भक्तों की संख्या चाहे कितनी भी हो, महाप्रसाद कभी कम नहीं पड़ता. तो आइए इस पवित्र स्थान से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में जानें.

By: Shivashakti Narayan Singh | Published: November 10, 2025 2:44:28 PM IST



Puri Jagannath Temple Facts: ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर केवल एक तीर्थस्थल ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, भक्ति का रहस्य भी है. इन्हीं रहस्यों में से एक है मंदिर की रसोई जो काफी विशाल और चमत्कारी है जो दुनिया के किसी भी मंदिर की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है. जो 44,000 वर्ग फुट में फैली यह रसोई केवल भोजन पकाने की जगह ही नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान भी है जहां स्वयं देवी लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं और लाखों भक्तों के लिए प्रतिदिन महाप्रसाद तैयार किया जाता है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भक्तों की संख्या प्रतिदिन बढ़ने या कम होने के बावजूद यह महाप्रसाद कभी कम या खत्म नहीं होता.

महाप्रसाद के रहस्य

उल्टे बर्तनों का क्रम

यहां प्रसाद तैयार करने के लिए लकड़ी की आग पर एक के ऊपर एक सात मिट्टी के बर्तन रखे जाते हैं. हैरानी की बात यह है कि इस ढेर के ऊपर रखा बर्तन पहले पकता है, उसके बाद क्रम से नीचे रखे बर्तन पकते हैं. इसे भगवान का चमत्कार माना जाता है.

कभी कम न पड़ने का चमत्कार

यहां प्रतिदिन लगभग 56 भोग तैयार किए जाते हैं. मंदिर प्रशासन भोजन का माप नहीं करता, फिर भी चाहे भक्तों की संख्या 20,000 हो या 2,00,000, सभी को महाप्रसाद मिलता है, और एक भी दाना बर्बाद नहीं होता. भक्तों का अटूट विश्वास है कि भगवान जगन्नाथ की इच्छा ही भक्तों की ज़रूरत के अनुसार प्रसाद तैयार करने की अनुमति देती है. इस रसोई में तैयार किया जाने वाला प्रसाद, जिसे भगवान को अर्पित करने के बाद महाप्रसाद कहा जाता है, भक्तों के लिए सिर्फ़ भोजन नहीं, बल्कि “अन्न ब्रह्म” का एक रूप है, जो जाति, वर्ग और धन से परे है.

देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद

ऐसा माना जाता है कि महाप्रसाद पर देवी लक्ष्मी और देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद होता है. यह भी कहा जाता है कि अगर प्रसाद बनाने वाले रसोइये ज़रा भी अहंकारी हो जाते हैं या प्रसाद की शुद्धता में कमी होती है, तो मिट्टी के बर्तन किसी न किसी कारण से टूट जाते हैं, जो दर्शाता है कि भोजन केवल भक्ति और समर्पण के साथ ही पकाया जाना चाहिए.

Disclaimer : प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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