Premanand Maharaj: आपने अपने पास ऐसे कई लोग देखे होंगे कि जो बात-बात पर कसम खाने लगते हैं. ऐसा इसलिए करते हैं ताकि लोग उनकी बातों पर भरोसा कर सकें. वहीं कुछ लोगों की आदत में ये शुमार होता है. वहीं कई लोग सोचते हैं कि आखिर जो लोग कसम खाते हैं वो गलत होती है तो बाद में उनका क्या होता होगा? एक शख्स ने कुछ ऐसा ही सवाल प्रेमानंद महाराज जी से किया. इस पर उन्होंने बड़े ही बारीकी से समझाया कि आखिर इसका क्या मतलब है और किसी को ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए?
प्रेमानंद महाराज ने दिया ये जवाब
इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा है कि जल्दी-जल्दी कसम नहीं खानी चाहिए. कसम खाते हैं और फिर तोड़ देते हैं. संकल्प लेते हैं और छोड़ देते हैं, उनका पुण्य नष्ट हो जाता है. ऐसा करने से आपकी निंदा होने लगेगी. ऐसे आचरण बन जाएंगे. जैसे कोई नशा कर रहे हैं. कोई गलत आचरण आपमें है तो कसम मत खाओ.
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कब ले सकते हैं कसम
कसम तब लेनी चाहिए तब दो चार महीने वो काम न करें. फिर देखकर करो कि दो चार महीने ऐसा नहीं कर रहा हूं तो अब मैं कसम लेता हूं. पहले कसम लेने से फिर टूट जाता है. टूटने से फिर अपराध लगता है और पुण्य नहीं मिलता है. इसलिए कसम नहीं लेनी चाहिए.