Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज, एक हिंदू तपस्वी और गुरु हैं, जो राधावल्लभ संप्रदाय मो मानते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपनी भक्ति, सरल जीवन, और मधुर कथाओं के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं. हर रोज लोग उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं जहां वह लोगों के सवालों के जवाब देते हैं.हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रवचन, जो दिल को छू जाते हैं, ने उन्हें बच्चों और युवाओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है. प्रेमानंद जी महाराज नाम जप करने के लिए के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और साफ मन से अपने काम को करें और सच्चा भाव रखें.
इस लेख के जरिए जानें कि गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं सब मुझ में हैं और मैं सब में हूं, यह भी कहते हैं मैं किसी में नहीं हूं और ना मुझ में कोई है. इसका अर्थ क्या है. जानें उनके अनोल वचन
मैं सब में हूं और सब मेरे में हैं जब इसका ज्ञान हो जाएगा तो भगवान कहते हैं कोई मेरे में नहीं हैं मैं किसी में नहीं हूं, इसका भाव यह है कि पंचभूत भी भगवान हैं, अतःकरण चतुष्टय भी भगवान हैं, प्राण भी भगवान बने हुए हैं, जब सब कुछ भगवान बने हुए हैं तो भगवान किस में प्रवेश करें.
बर्फ में जल प्रवेश नहीं करता, ना बर्ष जल में प्रवेश करते, तो बर्ष क्या है तो बर्फ, जल ही तो है. मैं सब में हूं और सब मेरे में हैं, जब यह बात सिद्ध हो जाएगी, तो प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि अगली बात अपने आप समझ आ जाएगी, जब पहले से ही भगवान आप में हैं तो भगवान प्रवेश कैसे करें. सब कुछ वही बने हुए हैं, इनके सिवा जीवन में कुछ नहीं है.
भगवान कहते हैं सब सृष्टि नहीं थी, तो केवल मैं ही मैं था, जब सृष्टि नहीं रहेगी तो मैं ही मैं रहूंगा, बीच में जो कुछ भी है केवल मैं ही हूं. तो भगवान किस चीज में प्रवेश करें, क्योंकि स्वंय ही बने हुए हैं, तो भगवान प्रवेश किस में करें.
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