टाइम क्यों देते हो सोचने का?
Premanand ji maharaj: महाराज जी से एक व्यक्ति ने एक प्रश्न पुछा की- महाराज जी बहुत ज्यादा सोचने लगता हूं,डर सा लगता है, घबरा जाता हूं अपने आप को शांत करने के लिए क्या करू? महाराज जी कहते हैं – राधा-राधा सोचो जिससे लोक परलोक सब मंगल होगा. टाइम क्या देते हो तुम्हारे सोचने से होगा राधा राधा राधा राधा वर्तमान में जो कार्य उसको एकाग्रता पूर्वक कीजिए सामने जो कार्य आया है सामने जो कर्तव्य आया है, उसको धैर्यपूक कीजिए और सोचने वाले डिपार्टमेंट में सोच डालो राधा राधा राधा राधा तुम्हारे सोचने से कुछ बन बिगड़ थोड़ी जाएगा राधा राधा राधा अब बन जाएगा अब बिगड़ भी जाएगा जो तुम्हें बिगाड़ने वाले हैं, उनको बिगाड़ देगा और तुम्हारा बना देगा फालतू का समय क्यों नष्ट करते हो मूर्खता है अगर हम आगामी भविष्य या भूत या वर्तमान का चिंतन करके हम प्रियाल को भूल रहे हैं. ये बहुत बड़ी मूढ़ता है. होगा वही प्यारे जो निश्चित हो चुका है. अब उस निश्चय को अगर कोई टाल सकता है एक महान शक्ति है.
राधा राधा राधा राधा अब क्या होगा आगे?
वही होगा जिसमें हमारा परम मंगल होगा. हम शरणागत हैं. राधा राधा कदम आगे बढ़ाओ. नहीं पीछे हुआ था उसका वो सब भस्म हो जाएगा. अगर आगे कोई गड़बड़ हो वो हाथ पकड़े गड़बड़ कैसे करने देगा राधा राधा राधा राधा और अगर इसको छूट दे दी ना तो ये डिप्रेशन में पहुंचा देगा बेमतलब में पहुंचा देगा. बहुत खतरनाक खेल है सोच बेमतलब भय बेमतलब संशय वो धीरे-धीरे आपकी शक्ति को कमजोर करते-करते ऐसे में पहुंचा देगा फिर दवाइयां खानी पड़ेगी बिल्कुल नहीं बिल्कुल नहीं बहुत कीमती समय बहुत कीमती जीवन इसको बहुत अच्छे काम में लगाओ. उत्साह प्राप्त पुरुष सब कुछ कर सकता है. निरोत्साहित कितना भी बलवान हो किसी काम का नहीं रह जाता. उत्साह संपन्न मदित्रम क्रिया विध्ञम व्यसने ससक्तम सूरम कृतज्ञम दृढ़ सवद लक्ष्मी स्वयं याति निवास हेतु उसके घर में स्वयं लक्ष्मी आ जाएगी. उत्साह संपन्न अभी करना है. इसी क्षण कार्य करना है. वर्तमान के कर्तव्य पर पूरी दृष्टि और नाम जब चल रहा है. किसी भी तरह की कोई निराशा तुम्हें छू ना पाए. हर क्रिया का जो भी कर्तव्य कर्म का उसका ज्ञान होना चाहिए. ऐसे नहीं मनमानी आचरण ठीक है कि नहीं ठीक है.
इसका परिणाम क्या होगा?
हमें सोच कर उस पर कदम रखना है. मनमानी आचरण नहीं करने. क्रियाम और जो व्यापार जो नौकरी उस पर ठीक से करो. सफलता असफलता प्रभु के हाथ की बात कर्तव्य आप ठीक से करो तो आप नाम जप करेंगे अपने कर्तव्य का पालन करेंगे हर समय आनंदित है उत्साहित है जितना जीवन जिएंगे मंगलमय
रहेगा शरीर छूटेगा प्रभु के पास जाएंगे खेल ऐसा खेलो जिसमें घाटा ना हो राधा राधा चल रहा है तो कभी नहीं कोई बाधा परास्त नहीं कर सकती अब नाम जप नहीं हो रहा तो सब व्यर्थ विनाशी चिंतन होगा समय विनाश हो रहा है कुछ लाभ तो मिल नहीं रहा है संयम से रहो व्यायाम करो भजन करो करो सत्संग सुनो सबको सुख पहुंचाने की भावना अभी कमल जैसे खिले रहोगे मुख प्रसन्न तन तेज विराजा की रामचंद्र कर काजा क्योंकि धर्म से चल रहे हो वासना से प्रेरित होकर शरीर नष्ट बुद्धि नष्ट मन नष्ट जीवन नष्ट क्या मुर्दे जैसा जीवन जो इंद्रिय जैसा चाहे वैसा डाउन कर दे जैसा चाहे वो हमें शोक दे दे दुख दे थोड़ा सा साहसी बनो. तुम भगवान के अंश हो. तुम कुछ भी कर सकते हो. कुछ भी बुरा से बुरा भला से भी भला. तो बुरा का परिणाम बुरा होता है. भला का परिणाम बड़ा होता है. तो आगे बढ़ो भलाई की तरफ. ये थोड़ा हमको कम अच्छा लगता है डाउन होना. भगवान के अंशों को थोड़ा दुख आया. रो दिए थोड़ा खुशी हुई नाच दिए. ऐ नाचना भी है तो ऐसी हिम्मत में कि भारी से भारी दुख में भी नाचना बंद नहीं होगा. रोना है तो केवल प्रभु के लिए रोना है. झुकना है तो केवल भगवत भाव में झुकना है. हमको कोई रौंद नहीं सकता. कोई झुका नहीं सकता. हम भगवान के अंश हैं. थोड़ा तो समझो यार. ये हम ही नहीं हम सब जरा जरा सी बातों में ऐसे चढ़े रुष्टा चढ़े तो थोड़ी चीज मिली. फूल गए थोड़ी गई दैया दैया. ये हमारा जीवन है. एक गंभीर स्वभाव बनाओ. एक उत्तम विचार बनाओ. एक उत्तम कार्यरत रहो. तुम्हें देखो अभी जीवन में चमत्कार आ जाएगा. बात समझो यह बाहरी आशीर्वाद से कुछ नहीं होता. बचपन से सब देख रहे हैं. फल दे दिया तुमने मान लिया. मान लो अभी एक सेव फल दे दिया तुम खुशी हो जाओगे. बात पकड़ लोगे ना तो जन्म जन्मांतर तुम्हें उठाती चली जाएगी. हो सकता है अगला जन्म ही ना हो. बात मान संतों की बात आशीर्वाद होती है. आजकल हम लोग बाहरी दिखावे को बहुत पॉइंट देते हैं. बात पकड़ लो तो विश्व पर विजय प्राप्त कर लोगे. जब अपने मन और इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर लिया वो विश्व पर विजय प्राप्त कर सकता है. और विश्व पर विजय प्राप्त की अपने मन और इंद्रियों पर विजय प्राप्त नहीं किया वो हारा हुआ है तो कुछ नहीं है. इसलिए बात समझो. निराश होने के लिए मानव शरीर मिला है. पशु है क्या हम? अरे हम भूखे रह के कष्ट सह के दुख सह के भी मुस्कुराएंगे. हमारे पास ज्ञान है. हमारे पास भगवान का बल है. ऐसे ऐसे हम सोच में बहते चले जाओ. उसको ब्रेक लगाओ. तुम्हारे
अधीन है वो. तुम उसके अधीन नहीं हो. जागो अभी सो रहे हो. जागो उसको अधीन करो. आनंद के धाम के तुम अंश हो. आनंद स्वरूप हो. आनंद के लिए विषय टुकड़ों में मारे घूम रहे हो. थोड़ा सा तो सावधान हो. धर्म से चलो. हमारी बात समझ में आ रही है आपकी कि नहीं आ रही? सच्ची कहते हैं तुमसे. सच्ची हर कष्ट को तुम रौंद सकते हो. हर कष्ट को सह सकते हो. अगर अभी तुम निश्चय कर लो. मैं मरा अब तुमको कोई नहीं मार सकता. सब भयभीत हो जाएंगे तुमसे. केवल एक निश्चय कर लो. अब हमारी जिंदगी की कोई परवाह नहीं. अभी-अभी तुम्हारा वह भयंकर रूप आ जाएगा कि जिस गली से निकलोगे लोग अंदर घुस जाएंगे.
क्यों आपने निर्भयता स्वीकार कर ली?
तुम्हारे अंदर के शत्रु बाहर का तो सब कोई ड्रामा कर सकता है. लेकिन अंदर के शत्रु तुम्हें परेशान कर रहे हैं. तुम उन पर कभी नजर की उनको अपना माने हुए हो. मित्र मन जैसा कह मन कह रहा है होटल में चलो होटल. मन कह रहा है फिल्म देख चलो. मन कह रहा है गंदी दृष्टि करो. करो. अरे कभी दुश्मन को पहचाना अंदर बैठा तुम्हारे और उसको जीत गए तो निहाल हो गए. पूरा जगत जीत गए. परमानंद में मगन हो जाओगे. इसीलिए तो आए हो यहां बात सुनने के लिए और काहे के लिए आए हो और यह बात वो बात है जो स्वीकार कर ले तो कोई बात ही नहीं रह जाएगी स्वीकार तो कर लो अभी तुम्हें रिपोर्ट दे दी जाए कि तुम्हारी दोनों किडनी खराब है तो बिना किडनी खराब के तो तुम अपनी हालत यह बता रहे हो अगर किडनी खराब की रिपोर्ट मिल जाए तो क्या करोगे हैं तुम हर एक व्यक्ति के हृदय में इतना आत्मबल है कि सब कुछ सह सकता है तुम वो आत्मबल वो शक्ति क्यों नहीं जागृत कर रहे हो ये थोड़ी कि अरे भाई ये तो हम यही भूल है कि यह ये कर सकते हम नहीं कर क्यों नहीं हम कर सकते बड़ी से बड़ी स्थिति जितनी भी बनी चाहे भागवतिक बनी चाहे लौकिक बनी हमारे लिए बनी हम तैयार नहीं करते उसको हम स्वीकृति नहीं करते. इसीलिए हर देश का नागरिक हर पद पर भारत के बैठ सकता है ऐसे भगवान का बच्चा हर ऊंचाई पर चढ़ सकता है थोड़ा आगे बढ़ो नाम जप करो धर्म से चलो और शरीर जैसे जवान शरीर है. व्यायाम करो. जरूर करो. सुबह-सुबह जब मोटरसाइकिल में बैठते हैं ना तो पहले हाई रेस में नहीं डालते. एकदम खुल गई. अब दौड़ लगाओ तो ऐसे ही उठो 4:00 बजे दंड बैठक. आधा घंटा एक घंटा सब दिमाग ठीक होने लगेगा. सब ठीक. फिर एक घंटा जप किया. अभी देखो हाल पड़े पड़े 9:00 बजे तक सो रहे हो. बेड में चाय पी रहे हो. क्या जवानी क्या परमार्थ क्या मनुष्य शरीर हमारे जो नौजवान भाई हैं बहुत भूल में जा रहे हैं मदिरा पीना नशा करना व्यभचार करना यह एक मनोरंजन बन गया है और यह सबसे बड़ा जीवन का घातक विषय ये तुम्हारे लौकिक और पारलौकिक दोनों उन्नतियों को नष्ट कर देगा इसलिए हम बार-बार आपको सचेत करते हैं कि यही वो समय है आपको महान बना सकता है. यदि आप संयम से रहे, जब तक ब्यान हो, तब तक ब्रह्मचर्य से रहो, कोई नशा मत करो. खूब धैर्य पूर्वक विचार करो. यह जीवन बर्बाद करने के लिए नहीं है. यह उन दोस्तों की दोस्ती के लिए नहीं है जो हमारे अंदर ऐसे नशे डाल दें, ऐसी आदतें डाल दें जिनमें माता-पिता, गुरु, धर्म, शास्त्र सबको रौंद करके हम गलत मार्ग का अनुसरण करें. नहीं नहीं बहुत विवेकवान. आप ऐसे दोस्त बनाए हो जो आपको गंदी आदतें सिखाएं, गंदे व्यसन कराएं, गंदी चेष्टाओं में ले जाए कि हम तो हमारे फिर तुम दोस्त तेरी दोस्ती क्या? हमारे दोस्त श्री कृष्ण हैं. और जिसके दोस्त श्री कृष्ण है वो कभी भी परास्त नहीं होता. अर्जुन परास्त है क्या कहीं? सारथी बने बैठे हैं. सच्ची आपका जीवन बड़ा मंगलमय हो. आप तेज में स्वस्थ आप हमारे भारत देश के भविष्य हैं. आप ऐसे आचरण ना करें जिसे देखकर आपको जलन पैदा हो कि यह तो खुद गिर रहा है. ये क्या हमारे भारत के काम आएगा. एक जवान पूरे भारत को बचा सकता
है. एक जवान एक आदमी काफी भारत के प्रजा को ठीक कर सकता है. आप सबके आचरण वाले धर्म से चलने वाले तो आपकी बात लाखों पर प्रभाव डालेगी. आप अपने को अपने जीवन को अपने संबंधियों को सुख नहीं दे पा रहे तो भारत को क्या सुख दे पाएंगे? हमारा लक्ष्य है पूरे भारत को सुख देना. हम अगर एक गांव के एक घर से एक शरीर को सुधारना शुरू कर दिया तो हम भारत का हित करना शुरू कर दिया है. आप सब जवान हैं. कोई पढ़ लिख के कोई अधिकारी बनेगा, कोई प्रवक्ता बनेगा, कोई नेता बनेगा तो हमारी प्रजा को सुख देगा. यह वासनाएं, ये गंदी आदतें आपकी जीवनी शक्ति को नष्ट कर देंगे. 15 से लेकर 2530 तक आपने ब्रह्मचर्य सब नष्ट कर दिया. अब आप केवल दिखाई दे रहे हैं कि मनुष्य है मनुष्य में. अब आपके अंदर ज्ञान शक्ति, स्मृति शक्ति, बल शक्ति, लोक कल्याण शक्ति वो केवल नाटक भले बोल लो तुम्हारे अंदर नहीं रह गई है. अगर आप संयम से चलोगे, ब्याह हो, एक पत्नी, व्रत ठीक से नियम वो आप आगे गृहस्थ में भी होते हुए तेजस्वी रहेंगे, धर्मवान रहेंगे. आपकी बात का दम रहेगा. हमें लगता है हमारे नौजवान भाइयों को, नई पीढ़ी को यह जो नया कलयुग का चाल चला है, इससे बचना चाहिए ये जो फ्रेंड वाली बातें चली है ना गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड और ये दुनिया जहर इससे बचना
चाहिए. हम दोस्ती कर सकते हैं. भाई-बन एक ही स्कूल में पढ़ने जाते हैं. ऐसे हम क्यों नहीं जा सकते? जब निर्णय होगा पतिप वाला तो बात अलग है. नहीं तब तक हमारा संबंध सबसे किसी से घृणा नहीं करनी. एक ही स्कूल में जा रहे तो भाई बहन नहीं जाते पढ़ने. एक गाड़ी में बैठकर जाते हैं, एक स्कूल में पढ़ते हैं. क्या उसमें दोष होता है? क्या हम ऐसे फ्रेंड नहीं बना सकते? जरूरी हम गंदे बनकर फ्रेंड बने. जरूरी हम गंदा कार्य करें. एक उसकी सीमा रखी गई है. पाणी ग्रहण हो जाने के बाद फिर जो गृहस्ती धर्म उसको स्वीकार. तब तक तो आप एक सीमा में चलिए और आपकी सीमा को नष्ट कर रहा. वो फ्रेंड कैसे हो सकता है? आपको जीवन को बर्बाद कर रहा है. ऐसी जगह पहुंचा रहा है कि आप जीना मुश्किल हो जाए. वह फ्रेंड है हमारा. नहीं नहीं वो नहीं. इसलिए आप सब सावधान रहिए और अपने मित्रों को सावधान कीजिए. जो सावधानी से चलेगा जीवन आप खुद देख लेना. खुद देख लेना. यह जो हम बोल रहे हैं ना यह ऐसे केवल ऐसे नहीं कि हम प्रवचन करें. तुमसे कुछ लेना देना नहीं है. बस लेना देना यही है कि जैसे अपने घर वाले होते हैं ना उनको समझाया जाता है. हम ऐसे आपको समझाते हैं. आप हमारे घर वाले हो. हमारे प्रभु के जन हो इसलिए समझाते हैं आप मान जाओ आपका मंगल हो जाएगा यह देखकर हमें सुख मिलेगा जैसे आप तिलक लगाए हो आप कंठी बांधे हो आप धर्म से चलते हो आप पवित्र रहते हो आप संयमी हो आपको देख के अच्छा लगता है स्वास्थ्य ठीक है बुद्धि ठीक है हां ठीक है अच्छा है ये अच्छा लगता है चलो धर्म से चलो अच्छे बनो